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Blog: ऐसा अप्रैल अब ना आये दोबारा...

Blog: ऐसा अप्रैल अब ना आये दोबारा…

by Sneha Shukla

अप्रैल अनुमति द क्रुअलेस्ट मंथ। अंग्रेजी के प्रसिद्ध कवि टी एस इलियट की बडी लंबी कविता द वेस्टलैंड की ये बड़ी यादगार पंक्ति है। जो इन दिनों बार-बार याद आ रहा है। दरअसल इलियट ने भी 1918 में आयी स्पेनिश फ्लू की महामारी को झेला था।

जिसमें इंग्लैंड के दो लाख लोग असमय जा रहे थे। बताया जाता है कि बीमारी से ठीक होने के बाद उन्होंने 1922 में द वेस्टलैंड लिखी जिसमें अप्रेल महीने की मनहूसता और उदासीनता का जिक्र किया। लेकिन ठीक सौ साल बाद भी ऐसा अप्रैल आयेगा इलियट ने कभी सोचा नहीं होगा।

अप्रैल महीने का अंत ऐसा होगा

सच तो क्या ऐसा अप्रचलित है हमने पहले भी कभी नहीं देखा। और मौतों की मनहूसियत से भरा। यदि मैं अपनी बात करूं तो तीन अप्रेल को दिल्ली में था और जनपथ होटल के खुशनुमा लॉन में ईएनबीए अवार्ड में अपने चैनल के सहयोगियों के साथ शामिल था। उस जगह पर टीवी मीडिया के सभी बड़े नाम माजूद थे। राजदीप सरदेसाई से लेकर रुबिका लियाकत और रोहित सरदाना तक सभी मित्र इकठ्ठा हुए थे।

सब लोग खुशी से चहक रहे थे लेकिन किसी को कल्पना भी नहीं थी कि अप्रेल महीने की इस शानदार शुरुआत के बाद अंत ऐसा होगा। उस घर से बाहर कदम रखने में कई बार सोचना पड़ेगा। ये तो अविश्वसनीय था कि कुछ दोस्त साथ भी छोड़ देंगे।

दरअसल कोरोना की दूसरी लहर की आहट मार्च से आनी शुरू हो गयी थी, लेकिन तब हमारी सरकार के प्रमुख पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बना रहे थे। पिछली बार की तरह इस बार भी हम कोरोना की शुद्धता को समझे नहीं। कोरोना से सामना का एकमात्र उपाय वैक्सीन को हमारी सरकार के अन्य देशों को दान कर पुण्य कमाने में जुटी थी। नतीजा ये रहा कि अप्रैल के पहले सप्ताह के अंत तक कोरोना ने पूरे देश में तेज रफ्तार पकड़ ली।

30 अप्रैल तक एमपी में 16,097 कोरोना के मरीज सामने आए

अगर हम मध्यप्रदेश की बात करें तो एक से सात अप्रैल तक 804, फिर आठ से 14 अप्रैल तक 6652 तो 15 से 21 अप्रैल तक 11,772 तो 22 से 30 अप्रैल तक एमपी में 16,097 कोरोना के मरीज सामने आए। अब सरकार के हाथ पैर फूल चुके थे। कोरोना मरीजों की अस्पताल में भर्ती होने की बाढ़ इस तेजी से बढ़ी कि देखते ही देखते सभी सरकारी और निजी अस्पताल ठसाठस भर गए।

अस्पताल में आक्सीजन की मांग बढती है। कोरोना में फेफड़े खराब होने और सांस लेने में कठिनाई होने पर आक्सीजन ही जान बचाने का एकमात्र उपाय होता है। जिस भोपाल शहर के डेढ़ सौ अस्पतालों में सत्तर से अस्सी लाख टन आक्सीजन से काम चल रहा था वहां पर डेढ सौ टन से ज्यादा आक्सीजन की मांग रोज होने लगी थी। परिणामजा में अस्पतालों में आक्सीजन की किल्लत और आक्सीजन सिलेंडर की हिट मारी थी।

परेशान हाल सरकार आक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर आश्रित हो गए हैं। पहले आक्सीजन के वेंडर तलाशे फिर आक्सीजन को लाने के टैंकर पूरे देश में तलाशे गए। इस बीच भोपाल ग्वालियर इंदौर और शहडोल के अस्पतालों में आक्सीजन ना होने से मरीजों के बेमौत मारे जाने की घटनाएं भी हुईं।

कोरोना की दूसरी लहर ने आधी अप्रैल के बाद ऐसी गति पकड़ी कि सब अस्त-व्यस्त कर दिया। दिया हुआ। तेजी से बढ़ते रोगी, अस्पतालों में बिस्तरों आक्सीजन और दवाओं की किल्लत बढ़ी और इसके साथ ही अकाल मौतों का सिलसिला बढ़ा। यदि हम भोपाल की ही बात करें तो अप्रैल महीने में मरीजों की संख्या पांच गुना बढ़ी और मौतों के आंकड़े डरावने स्तर पर आ रहे हैं। शहर के श्मशान घाटों और कब्रिस्तान से अप्रैल महीने में अंतिम संस्कार हुआ। देहों की जो संख्या आयी वो 2458 थी।

अप्रैल महीना में ही 48894 मौतें पूरे देश में कोरोना से हुई

यानि की ढाई हजार मौतें भोपाल जैसे शहर में है। प्रशासन ने कुछ नए तर्क दिए हैं। इस संख्या को झुठलाने के लिए लेकिन इससे पहले इतना मृत शरीर कभी विश्राम घाटों में नहीं आये।
मौत के ये आंकड़े सिर्फ भोपाल ही नहीं देश में भी चौंकाने वाले आये। एक अनुमान के मुताबिक अप्रैल महीने में ही 48894 मौतें पूरे देश में कोरोना से हुई हैं। ये पिछले साल महामारी से हुई मौतों के मुकाबले 23 गुना ज्यादा हैं।

इस महीने कोरोना के मरीजों की संख्या भी इस तेजी से बढ़ी कि हमारे देश ने अगले पिछले पूरे रिकॉर्ड तोड दिया। इस महीने के आखिरी नौ दिनों में तो लगातार तीन लाख से ज्यादा मरीज रोज सामने आये तो एक मई को तो इन मरीजों की संख्या एक दिन में चार लाख को पार कर गई।

सवाल ये है कि जब अप्रैल क्रुएल क्या तब मई का हाल क्या होगा? आईआईटी कानपुर और हैदराबाद के वैज्ञानिकों ने गणित के एल्गोरिदम से अंदाजा लगाया है कि कोरोना की हालत सुधारने से पहले और बिगड़ेगी यानी कि मई में कोरोना से हालत और खराब होगी। पांच से दस मई के बीच रोज साढ़े चार लाख कोरोनायनों की संख्या में इजाफा होगा।

मई महीने में कोरोना के आंकड़े भहावय होने की आशंका

• पीक की बात करें तो सेकंड बेव का ऊंचा उभार 14 से 18 मई के बीच होगा जब देश में 38 से 48 लाख एक्टिव केस होंगे जो इन दिनों 32 लाख के आसपास हैं। अब बड़ा सवाल ये है कि इस जालिम जानलेवा वायरस से बचे कैसे? स्पर्श पाते हैं, घर से कम निकल, अनजान लोगों से कम मिलें और थोड़ा बहुत भी संकेत मिलने पर जांच करते हैं। इलाज घर या अस्पताल में इलाज शुरू करें। इससे बचा जा सकेगा वरना पिछली स्पेनिश फ्लू महामारी में सिर्फ भारत के ही सवा करोड़ लोगों ने जान गंवाई थी। इस बार ये नौबत ना आये तो भला।

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