चैत्र नवरात्रि 2021 अष्टमी राम नवमी तिथि कन्या पूजन का समय: हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। इसमें भी कन्या पूजन का और अधिक महत्त्व है। इन दिनों चैत्र नवरात्रि का त्योहार चल रहा है। वैसे तो कन्या पूजन नवरात्रि की सप्तमी से शुरू हो जाता है। सप्तमी के दिन से ही कन्याओं का दुष्टता किया जाता है। नवरात्रि के दुर्गाष्टमी और नवमी के दिन कन्या को दुर्गा के नव रूपों के स्वरूप में पूजन किया जाता है। इस बार दुर्गाष्टमी 20 को और नवमी 21 अप्रैल को है। हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है कि कन्याओं को नव देवी का स्वरूप मानकर प्रणाम किया जाता है तो देवी दुर्गा प्रसन्न होती हैं और भक्तों को यश-धन और वैभव प्रदान करती हैं।
पूनज के के लिए कन्या की उम्र
हिंदू धर्म के मुताबिक, नवरात्रि में कन्या पूजन के लिए लड़कियों की उम्र 2 साल से 9 साल के बीच होनी चाहिए। आप चाहें तो 9 साल से ऊपर की कन्याओं को भी भोजन कर सकते हैं। इसके साथ एक बालाक भी होना चाहिए। जिसकी पूजा भैरव के रूप में होती है। माना जाता है कि जैसे भैरव के बिना नव दुर्गा की पूजा अधूरी होती है, वैसे कन्या पूजन में एक लड़के की जरूरत होती है। जिसे भैरव माना जाता है।
कन्या पूनज विधि
कन्या पूजन के लिए एक दिन पहले कन्याओं को आमंत्रित किया जाना चाहिए। उसके बाद अगले दिन कन्याओं के आने पर उनके पैर को दूध से भरे थाल में रखकर धोना चाहिए। उसके बाद उनका पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए। इसके बाद अक्षत, फूल, कुमकुम का टीका लगाना चाहिए। फिर उन्हें भोजन के लिए स्वच्छ और स्वच्छ स्थान पर लाकर खाना खिलाना चाहिए। भोजन के बाद उन्हें यथा शक्ति दक्षिणा / उपहार प्रदान करना चाहिए। बिदाई करते समय पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए।
चारित्र नवरात्रि रामनवमी -21 अप्रैल को बन रहा है का है शुभ मुहूर्त
- ब्रह्म मुहूर्त– 04:10 ए एम, अप्रैल २२ से है 04:54 ए एम, अप्रैल २२ तक है।
- राव योग– 07:59 बजे ए.एम. से है 05:39 ए.एम., अप्रैल २२ तक है।
- विजय मुहूर्त– 02:17 पी.एम. से है 03:09 पी.एम. तक है।
- गोधूलि मुहूर्त– 06:22 पी.एम. से है 06:46 पी.एम. तक है।
- निशिता मुहूर्त– 11:45 पी.एम. से है 12:29 ए.एम., अप्रैल २२ तक है।
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