चैत्र मास को हिंदू नव वर्ष का पहला मास माना जाता है। इस वर्ष चैत्र मास की शुरुआत 13 अप्रैल मंगलवार से हो रही है। इसी दिन से देवी उपासना की चैत्र नवरात्रि भी आरंभ हो रही हैं, जिनकी नवमी तिथि 21 अप्रैल को पड़गी और नवरात्रि का पारण 22 अप्रैल यानी दशमी तिथि को किया जाएगा। नवरात्रि का सिर्फ धार्मिक ही नहीं वैज्ञानिक रूप से भी काफी महत्व है।
चैत्र नवरात्रि 2021: नवरात्रि में अखंड ज्योति जलाने के जान लें नियम, आप पर बरसेगी माता की कृपा
इस दौरान देवी उपासना से मन की शुद्धि तो होती ही है, साथ ही जब ऋतु परिवर्तन होता है तो गलत भोजन से बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है, ऐसे में नवरात्रि के व्रत के नियम-संयम भोजन को संतुलित करते हैं। इस तरह हमारे शरीर में जीवनी शक्ति का भी संचार ज्यादा होता है। नवरात्रि में मां दुर्गा के नव स्वरूपों- शैलपुत्री माता, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कूष्मांडा, माता कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी और मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है और नवरात्रि में मां दुर्गा के नव स्वरूपों की पूजा करने से सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में समृद्धि आती है। में खुशहाली आती है। सुख-समृद्धि व शांति का वास होता है। लेकिन देवी माँ की उपासना में कुछेक नियमों का भी ध्यान रखना चाहिए, ताकि आपको उनकी अनुकम्पा बहुत मिले। नवरात्रि के नौ दिनों में प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन का प्रयोग ना करें। इससे शारीरिक शुचिता भी मिलेगी। साथ ही मानसिक शुद्धि के लिए नकारात्मकता, जैसे कि किसी की बुराई चुगली आदि से दूर रहें।
पूजा करते समय यह ध्यान रखें कि घटस्थापना ईशान कोण में करने के बाद अखंडता दिए जलाएं। सुबह 12 बजे से पहले पूजा करें। मां दुर्गा को पूजा में कभी भी टूटे हुए फूल या धरती पर गिरे हुए फूल ना चढ़ाएं। उन्हें लाल रंग प्रिय है, तो पूजा में लाल फूल अर्पित करें। देवी पूजा में दुर्गा सप्तशती के पाठ का बड़ा ही महत्व है। उसकी पाठ करने से सब क्लेश और चिंता दूर होती है और माँ के आशीर्वाद से सभी काम बनते हैं। यदि संभव हो तो नवदुर्गा के हर दिन छोटी कन्याओं को सात्विक भोजन करें। मां दुर्गा के आशीर्वाद से सभी कार्य संपन्न होंगे और भक्तों के कष्ट माता हर लिंगी, साथ ही उनकी कृपा से आपको धन-धान्य सुख समृद्धि का वरदान प्राप्त होगा।
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