चैत्र पूर्णिमा 2021: हिंदू धर्म या सनातन धर्म में पूर्णिमा का व्रत सभी व्रतों में विशेष महत्व रखता है। चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान शिव और भगवान विष्णु की विधि विधान से पूजा की जाती है। इस दिन लोग व्रत भी रखते हैं, और व्रत रखते हुए अन्य देवी देवताओं की कृपा पाने के लिए पूजा भी करते हैं। हिंदू धर्म ग्रंथों में वर्णित है कि चैत्र पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन में आने वाली सभी परेशानियों दूर हो जाती हैं।
चंद्रोदय का समय
- २। अप्रैल को चंद्रोदय– शाम को 07:00 बजे पी। एम
- २। अप्रैल को चन्द्रास्त– हूँ 05:42 पी। एम
चारित्र पूर्णिमा शुभ मुहूर्त: वर्ष 2021 की चैत्र पूर्णिमा 26 अप्रैल 2021, दिन सोमवार, दोपहर 12 बजकर 44 मिनट से शुरू होकर 27 अप्रैल, 2021, मंगलवार, सुबह 09 बजकर 01 मिनट तक रहेगी। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि पूर्णिमा के दिन व्रत रखने और चंद्रमा की पूजा करने से उपासक को चंद्र दोष से मुक्ति मिलती है और उसकी कुंडली में चंद्रमा की शुभता में वृद्धि होती है।
चैत्र पूर्णिमा का महत्त्व
पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन अर्थात छात्र पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने ब्रज में महारास रचाया था। इस कारण इस उत्सव को महारास भी कहा जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक़, चैत्र पूर्णिमा के दिन श्रीराम भक्त हनुमान जी का जन्म हुआ था। इस दिन हनुमान जयंती या हनुमान जन्मोत्सव भी मनाया जा रहा है। संतोग से इस वर्ष चैत्र पूर्णिमा पर कई शुभ योग भी बन जाते हैं जिससे इस बार की चैत्र पूर्णिमा का महत्व और अधिक वृद्धि होती है। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस दिन सिद्धि योग बनने के साथ चंद्रमा की राशि पर विराजमान रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में सिद्धि योग को अत्यंत शुभ योग माना गया है।सिद्धि योग किए गए शुभ कार्य बहुत ही शुभ फलदायी होते हैं।
चारित्र पूर्णिमा की पूजा विधि
इस दिन सुबह प्रातःकाल उठकर सभी नित्यकर्म से निवृत होकर जल में गंगा जल डालकर स्नान करें। उसके बाद व्रत का संकल्प लें। भगवान शिव और विष्णु के साथ हनुमान जी का भी पूजन करें। हनुमान जी की आरती और चालीसा का पाठ करें। उसके बाद शाम को भी चंद्र दर्शन कर इसी तरह पूजन करें।
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