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CM नीतीश ने बिना नाम लिए तेजस्वी पर साधा निशाना, कहा- पता नहीं कौन हैं उनके 'एडवाइजर'

CM नीतीश ने बिना नाम लिए तेजस्वी पर साधा निशाना, कहा- पता नहीं कौन हैं उनके ‘एडवाइजर’

by Sneha Shukla

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पटना: बिहार विधानसभा में मंगलवार को जो भी घटना हुई उसका असर आज भी देखने को मिला। विपक्ष के विधायकों ने सदन के बाहर धरना दिया और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से माफी मांगने की मांग की। इधर, विरोध के बीच बजट सत्र के अंतिम दिन की कार्यवाही शुरू हुई। सत्र के अंतिम दिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार नेे सदन के सदस्यों को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कल की घटना की चर्चा की और बिना तेजस्वी का नाम लिए कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि उनके एड्वेजर कौन हैं।

केवल अपना समय बर्बाद कर रहे हैं लोग

उन्होंने कहा, “सवाल पूछने का अधिकार सबके पास है। सब पूछते भी हैं। लेकिन फिर कुछ लोगों के मन में क्या बात आती है कि ऐसा व्यवहार करने लगते हैं। ऐसे लोगों के एडवाइजर कौन हैं, पता नहीं। लेकिन यह कुछ नहीं हो रहा है। केवल। ऐसा करके वो लोग केवल अपना समय बर्बाद कर रहे हैं। जो अधिकार उन्हें मिला है, उसका सही ढंग से उपयोग नहीं कर रहे हैं। सदन में तो हर निर्णय सबसे बात करके लिया गया है। सामान्य रूप से सदन चला है। आखिर में पता नहीं क्या हो गया। “

सीएम नीतीश ने कहा, “कल जो भी घटना हुई वह ठीक नहीं थी। सदन में बहुमत जिनको होता है, सरकार उनकी बनती है। सरकार भी बहुमत के आधार पर ही बनती है। हालांकि, सभी लोगों को अपनी बात सदन के अंदर ही अंदर तक चाहिए। । बिल पास हो गया और सारा काम भी हो गया। “

सदन में ठीक ढंग से हो सबकी भागीदारी हो

उन्होंने कहा कि आज भी उनके प्रस्तावों पर केवल बात हो रही है। लेकिन क्या हुआ ये वो लोग ही जानें, कैसे एकता है। लेकिन लोकतंत्र की मर्यादा इसी में है कि सदन में सबकी भागीदारी ठीक ढंग से हो। सबको अपनी बात रखने का अधिकार है। पूरे सेशन सही होने, लेकिन अंत में क्या मन में आया कि ऐसा करने लगे। हमें उससे कोई मतलब नहीं है। हमारे सभी मंत्री अपनी पूरी बातें रखते हैं और सभी सवालों का जवाब देते हैं।

उन्होंने ज़ीयू महेश्वर हासारी को भी विधानसभा उपाध्यक्ष बनने पर बधाई दी। साथ ही विपक्ष के सदन में नहीं आने पर चुटकी भी ली। उन्होंने कहा कि ये घोर आश्चर्य की बात है, जब दूसरे पक्ष ने भी नॉमिनेशन दाखिल किया था, तो वे क्यों नहीं आए? उन्हें उपस्थित रहना चाहिए था। लेकिन लोगों को मालूम था कि बहुमत उसके पास है, इसलिए ऐसा ही नॉमिनेशन कर दिया गया और बाद में ही नहीं आया। मालूम हो कि विधानसभा उपाध्यक्ष पद के लिए विपक्ष की ओर से भूदेव चौधरी ने नामांकन किया था, लेकिन मंगलवार को विधानसभा में हुए हंगामे के बाद आज विपक्ष के विधायकों ने सदन का बहिष्कार कर दिया और सदन में नहीं गए।

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