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Convalescent Plasma Therapy: जानिए कोविड-19 मरीजों के लिए कौन डोनेट कर सकता है प्लाज्मा, कितनी होगी संख्या

Convalescent Plasma Therapy: जानिए कोविड-19 मरीजों के लिए कौन डोनेट कर सकता है प्लाज्मा, कितनी होगी संख्या

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> बाजार में पहले से उपलब्ध दवाओं जैसे हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन और रेमडेसिविर का दोबारा इस्तेमाल करने के अलावा, डॉ कोविड -19 के जोखिम और गंभीर लक्षण वाले रोगियों के इलाज करने के लिए प्लॉट थेरेपी का भी इस्तेमाल कर रहे हैं। जब कोई वायरस या सूक्ष्मजीव शरीर में घुसता है, तब इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाता है और उसके खिलाफ एंटी बॉडीज का निर्माण करता है। ये एंट बॉडीज सूक्ष्म जीव और होनेवाले संक्रमण से लड़ते हैं और ब्लड में महीनों या वर्षों तक भी रह सकते हैं।

हालांकि, कोविंद -19 के खिलाफ कॉनविलीसेंट प्लॉट के इस्तेमाल का असर की जांच जारी है, इस बीच वैज्ञानिकों ने पाया है कि एंटी बॉडीज दान किए ब्लड में तेजी से गायब हो सकता है। वैज्ञानिकों का सुझाव है कि डोनेट किए गए प्लॉट में एंटी बॉडीज 2-4 महीने के अंदर खत्म हो जाता है, लिहाजा प्लॉनर डोनर को बहुत लंबा इंतजार नहीं करना चाहिए और सक्षम होने पर अपना प्लॉट जल्द से जल्द डोनेट करे। कोरोना कोटि दे ने शख्स प्लोस पहली बार पॉजिटिव पाए जाने के 30-40 दिन बाद डोनेट करना चाहिए, माना जाता है कि उस वक्त तक उसकी एंटी बॉडीज ब्लड में पर्याप्त रूप से बन चुकी होगी।

प्लॉस थेरेपी या कॉनविलीसेंट इलाज पर निर्भर
प्लॉस्टिक थपका एक इलाज है जहां डॉ। विभाजित -19 से रिकवर मरीजों के डोनेट किए हुए ब्लड से ब्लड से भरपूर सीरम को अलग करते हैं और बुरी तरह से प्रभावित मरीज के शरीर में उसे चढ़ाते हैं। प्लॉस थोपे को कॉनविलीसेंट प्लॉस्टिक भी कहा जाता है। & nbsp;

कौन डोनेट कर सकता है अपना प्लॉट
जो लोग कोरोना पॉजिटिव बने हुए हैं और डोनेशन और कोविड -19 की दो बार जांच रिपोर्ट निगेटिव से तीन सप्ताह पहले ठीक हो चुके हैं।
जिन लोगों की उम्र 18 साल की हो चुकी है, लेकिन 60 साल से ज्यादा की उम्र वाले न हों। & nbsp;
जिन लोगों का कारण 50 किलोग्राम या उससे ज्यादा हो, जो स्वस्थ रूप से फिट हों।
हालांकि, कुछ वजहों से भी एक शख्स प्लॉनेट करने में सक्षम नहीं हो सकता है, अगर वो पल्जामा डोनेट करने के उपयुक्त हैं भी।
अगर कोई शख्स मेडिकल की दवा इस्तेमाल कर रहा हो या अस्पताल में इलाज हो रहा हो। । /> बीमारी को चिह्नित करें शख्स भी अपना प्लॉट डोनेट नहीं कर सकते।

बहुत बार योजनाकार डोनेट कर सकता है
पिछले साल दिल्ली के तबरेज खान ने छह बार अपना प्लॉट डोनेट कर एक मिसाल पेश की थी। उससे सवाल पैदा हुआ था कि कोरोना से ठीक हुआ शख्स कितनी बार प्लॉनेट कर सकता है? आईआईएनएसईआर पुणे में इम्यूनोलोजिस्ट सत्यजीत रथ कहते हैं, "ध्यान में रखते हुए हम ब्लड की मात्रा का सिर्फ 10 फीसद हर बार लेते हैं जिसे कोई डोनेट करता है। इसलिए कई बार योजनाकार डोनेट करने के बाद भी एक मरीज के पास उसके ब्लड में एंटी बॉडीज होना जारी रहेगा।"

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