नई दिल्ली: कोरोना के खिलाफ जंग में सरकार की मदद कर रही सेना ने अपने सैनिकों के लिए वैक्सीन ड्राइव भी तेज कर दी है। सेना में अबतक 82 प्रति सैनिकों को कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी हैं, जबकि 99 प्रति सैनिकों को पहले ‘जैब’ लग चुकी है।
चीन हो या पाकिस्तान, हर मुश्किल चुनौती में देश की रक्षा करने वाले सैनिक अब कोरोना के खिलाफ भी लड़ने के लिए कमर कस चुके हैं। यही कारण है कि सेना जल्द ही जल्द ही सैनिकों का कोरोनाईकरण जल्द से जल्द पूरा करने की तैयारी करने में जुटी है।
जानकारी के मुताबिक, सेना में 99 फीसदी तक कोरोना वैक्सीनेशन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। इनमें से 82 प्रति सैनिकों को कोरोना की दोनों डोज लग चुकी हैं। सैनिकों को क्यूलाइन वर्कर्स मानते हैं कि इस साल जनवरी के महीने से वैक्सीनेशन ड्राइव शुरू कर दिया गया था।
कोरोना के खिलाफ जंग में सेना कर रही मदद
कोरोना के खिलाफ जंग लड़ने के लिए भारतीय सेना जर्मनी से 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट कर रही है, जिससे सेना के हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन की कमी ना हो। इसके अलावा राजधानी दिल्ली स्थित बेस अस्पताल को अब 1000 बिस्तर में तब्दील करने की तैयारी है।
जानकारी के मुताबिक, जर्मनी से लाए जाने वाले इन सभी 23 मोबाइल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट्स को सेना के अस्पताल में लगाया जाएगा। वहाँ से सेना के कोविड हॉस्पिटल्स में ऑक्सीजन की सप्लाई की जाएगी। जर्मनी से एयरलिफ्ट कर इन प्लांट्स को भारत लाया जा रहा है।
ये कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब ऑक्सीजन बेड ना मिलने के कारण हाल ही में एक पूर्व ब्रिगेडियर की मौत हो गई थी। दरअसल, दिल्ली कैंट स्थित बेस अस्पताल में वर्तमान में 258 ऑक्सीजन बेड हैं और सभी भरे हुए हैं। पूर्व ब्रिगेडियर को कोविड के लक्षण मिलने के बाद उनका बेटा, पहले डीआरडीओ के सरदार पटेल को विभाजित अस्पताल में गए थे। वहां बेड ना मिलने के बाद बेटा बेस अस्पताल में गया था। वहां भी ऑक्सीजन बेड ना मिलने के बाद बेटे के बारे में चंडीगढ़ जा रहा था। रास्ता में ही उनकी मौत हो गई।
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