<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> कोरोनावायरस तेजी से फैल रहा है। कोविद -19 की दूसरी लहर में बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। हालाँकि अभी भी बच्चों में संक्रमण के मामले कम हैं, लेकिन पिछली बार के मुकाबले इस बार बच्चों में ये संक्रमण तेजी से फैल रहा है। ऐसे में अब तीसरी लहर का खतरा भी मंडराने लगा है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर बच् & zwj; चों को अपना टारगेट बना सकती है। इसमें सबसे ज्यादा चिंता की बात यह है कि बच्चों के लिए अभी कोरोना का कोई वैक्सीन नहीं बनाया गया है। इसके अलावा कई ऐसी दवाएं हैं जो बच्चों को नहीं दी जा सकती हैं। इस स्थिति में बच्चों को लेकर बहुत सावधानी बरतने की जरूरत है।
क् & zwj; यों बच् & zwj; चों पर है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर कोरोना की तीसरी लहर आई तो बच्चे इस वायरस की चपेट में सबसे ज्यादा आएंगे। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि तीसरी लहर तक देश में ज्यादातर वयस् & zwj; क लोग को वैक् & zwj; स की पहली डोज लग जाएगी। ऐसे में ये लोग ज्यादा सुरक्षित रहेंगे; वहीं बच्चों के लिए अभी तक कोई वैक्सीन नहीं बन पाया है।
बच् & zwj; चों को क् & zwj; यों नहीं लग रही वैक् & zwj; स
दरअसल किसी भी वैक्सीन को लगाने से पहले उसका ट्रायल किया जाता है। अभी तक जो कोरोना वैक् & zwj; स बनाए हुए हैं। उनका ट्रायल 16 साल से ज्यादा उम्र के लोगों पर ही किया गया है। इसलिए विश्वासी & zwj; व स् & zwj; वास् & zwj; थ् & zwj; य संगठन यानि डब & zwj; ल् & zwj; यूएचओ ने बच्चों को यह वैक् & zwj; स न को लगावाने की सलाह दी है। हालाँकि अब बच्चों में बढ़ते संक्रमण को देखते हुए बच् & zwj; चों के लिए भी वैक् & zwj; स के उपयोग और ट्रायल की जरूरत बढ़ गई है।
कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को कैसे बचाएं?
किसी भी वायरस से बचने के लिए हमारी इम् & zwj; यूनिटी का मजबूत होना बहुत जरूरी है। अगर शरीर में रोगोधक क्षमता अच्छी होगी तो बीमारियां कम होंगी। मल्टीविटामिन भी आपकी इम् & zwj; यूनिटी को मजबूत करती हैं जिससे आपके शरीर की बीमारियों से लड़ सकें। ऐसे में बच्चों को कोरोना में सुरक्षित रखने के लिए हेल् & zwj; दी खाना खिलाना। फलों और आदतों, फ्रूट जूस भरपूर मात्रा में खिलाएं। बच्चों को धूप में बैठने के लिए कहें। उनके खाने में अंडे शामिल होते हैं। अगर बच्चों में खाने-पीने की आदत अच्छी हो तो बीमारियाँ और कोरोनावायरस भी झा & zwj; यादा नुकसान नहीं पहुँचा सकते हैं। लेकिन जो कमजोर और कुपोषित बच्चों को संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसलिए बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने की कोशिश करें।
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