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DRDO की एंटी-कोविड मेडिसिन अगले हफ्ते से मरीजों को मिलेगी, जल्द शुरू होगा बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन

DRDO की एंटी-कोविड मेडिसिन अगले हफ्ते से मरीजों को मिलेगी, जल्द शुरू होगा बड़े पैमाने पर प्रोडक्शन

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: डीआरडीओ की एंटी-कोविड मेडिसिन जल्द ही मरीजों को मिलनी शुरू हो जाएगी। सूत्रों की मानें तो अगले सप्ताह से डीआरडीओ के को विभाजित अस्पतालों में ये दवाई रोगियों को देनी शुरू हो जाएगी क्योंकि दवा बनाने वाली कंपनी के पास इस एंटी-कोविड मेडिसिन का थोड़ा स्टॉक है और जल्द ही इसका बल्क-प्रोडेक्सन शुरू होने वाला है।

एबीपी न्यूज ने एंट-कोविड मेडिसिन तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले डीआरडीओ के दो साइंटिस्ट, डॉ अनंत नारायण भट्ट और डॉ सुधीर चांदना से विशेष बातचीत की है। ये दोनों वैज्ञानिक, डीआरडीओ की राजधानी दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन ऐंड एलाइड साइंसेज (इनमास) में तैनात हैं।

‘कई सालों से 2 डीजी मेडिसिन पर काम चल रहा था’
डॉ अनंत नारायण ने बताया कि कई सालों से 2 डीजी मेडिसिन पर काम चल रहा था। इस 2 डीजी दवाई का ब्रेन-ट्यूमर के इलाज सहित एंटी-कैंसर ड्रग्स के तौर पर काम चल रहा था। लेकिन, पिछले साल जब देश में कोरोना ने दस्तक दी थी तो इस एंटी-कैंसर ड्रग को कोरोना के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था। उनके अनुसार, इसके लिए हैदराबाद के केंद्र के लिए सेल्युलर और मॉलिक्यूलर बायोलॉजी में रिसर्च की गई। शोध में जब कामयाबी मिली तो ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (जीजीआई) से क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत मांगी गई।

डॉ। सुधीर चांदना ने बताया कि पिछले साल अप्रैल से लेकर अक्टूबर 2020 तक पहले फेज के क्लीनिकल ट्रायल किए गए। पहले फेज के ट्रायल के बाद ओजीआई ने अगले चरण के क्लीनिकल ट्रायल की इजाजत दी। उसके बाद इस दौरान दो फेज में परीक्षण किए गए। ये क्लेिकल ट्रायल दिल्ली, यूपी, राजस्थान, गुजरात, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु इत्यादि राज्यों के कुल 27 अस्पतालों में किए गए। ये क्लेरिकल ट्रायल, कोरोना से लगभग 300 मरीजों पर किए गए। परीक्षण के दौरान पाया गया कि इस 2 डीजी दवाई के इस्तेमाल से मरीजों को ऑक्सीजन मात्र 3 दिन के बाद से ही बंद कर दी गई है यानी इस दवाई के सेवन से मरीजों की ऑक्सीजन पर निर्भरता कम हो गई है और वे जल्दी सही भी हो रहे हैं।

डॉ चांदना के मुताबिक, क्लीनिकल ट्रायल्स में हैदराबाद की डॉ रेड्डी रिलायंस ने काफी मदद की थी। क्लीनिकल ट्रायल पूरे होने के बाद ही इस महीने की एक तारीख यानी 1 मई को बॉडीआई ने इस दवाई के इमरजेंसी इस्तेमाल की इजाजत दे दी।

इस बीच नीति आयोग के सदस्य और डीआरडीओ के पूर्व चैयरमैन वी के सारस्वत ने 2 डीजी दवाई के बारे में बताया कि इस दवा को इनमास के वैज्ञानिकों ने वास्तव में एंटी-कैंसर के तौर पर ही डेवलेप किया था। कैंसर-सेल हमारे शरीर की एनर्जी पर अटैक करते हैं। उसके लिए ये 2 डीजी मेडिसिन कैंसर सेल में घुल जाता है और उन्हें बढ़ने नहीं देता है। ऐसा ही कुछ कोरोनावायरस के साथ है। इसीलिए & lsquo; डीऑक्सी-डी-ग्लूकोज & rsquo; यानी 2 डीजी बॉडी की एनर्जी बरकरार रहती है। लेकिन इसका कभी एंटी-कैंसर के तौर पर इस्तेमाल नहीं हो पाया था।

डॉ। रेड्डी उद्योग के पास इस दवाई का कुछ स्टॉक मौजूद
सूत्रों की मानें तो 2 डीजी पर काफी लंबे समय से काम चल रहा था, इसलिए डीआरडीओ की इंडस्ट्री-पार्टनर, डॉ। रेड्डी हाउस के पास इस दवाई का कुछ स्टॉक मौजूद है। यही कारण है कि अगले कुछ दिनों में इस दवाई को डीआरडीओ के को विभाजित अस्पतालों में मरीजों को देनी शुरू हो जाएगी। ये एक ग्लूकोज के पाउडर का ऐनेलॉग है और इसे पानी में घोलकर रोगी को पिलाया जाता है। सूत्रों की मानें तो जैसे-जैसे दवाई की मांग बढ़ेगी, डॉ रेड्डी जापान इसका बल्क-प्रोडेक्शन यानी बड़ी तादाद में उत्पादन शुरू कर देगा।

आपको बता दें कि इस बार डीआरडीओ के कुल चार (04) को विभाजित अस्पताल हैं- दिल्ली, लखनऊ, अहमदाबाद, पटना। इन सभी अस्पतालों में सेना के डॉक्टर्स और पैरा-मेडिकल स्टाफ तैनात हैं। इसके अलावा वाराणसी, मुजफ्फरपुर, जम्मू, श्रीनगर, देहरादून और ऋषिकेश में भी डीआरडीओ के कोविड अस्पताल बनने जा रहे हैं।

यह भी पढ़ें: क्या देश में एक बार फिर लॉकडाउन की जरूरत है, एम्स के डायरेक्टर डॉ। रणदीप गुलेरिया ने ये जवाब दिया

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