<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: मेदांता के सीएमडी डॉ। नरेश त्रेहन का कहना है कि रेमदेसीविर & nbsp; लोग रामबाण समझ रहे हैं जबकि ऐसा नहीं है। डॉ। त्रेहन के मुताबिक ये उन्हीं को दी जानी चाहिए जिनमें वायरल लोड ज्यादा हो।
डॉ त्रेहन के मुताबिक अगर ब्लड टेस्ट और दूसरे टेस्ट से यह पता चल रहा है कि आपके शरीर में वायरल लोड बहुत ज्यादा आया है, तो ऐसे रोगी को रेमडेसिविर एंड nbsp; देना उचित है। इसी तरह प्लॉट थापर पर उन्होंने कहा कि अगर उचित समय पर उचित मरीजो को प्लॉट थोपे गए तो इसका फायदा होगा। मालिकों स्टेज में कोई पेशेंट ऐसा है जिसमें एंटी बॉडी बहुत कम है तो उसे प्लॉट देने से कोई फायदा नहीं हो सकता है लेकिन यह रामबाण नहीं है हां इससे मदद मिलती है। & nbsp; & nbsp;
ऑक्सीजन की कमी को लेकर डॉ त्रेहन ने कहा कि हमें यह देखना होगा कि ऑक्सीजन का वितरण कैसे किया जाए, जिससे किसी मरीज की जान को ऑक्सीजन की कमी से नुकसान नहीं पहुंचे। उन्होंने कहा कि ऑक्सीजन, उद्योग और मेडिकल लाइन में की जाती है। सबसे ज्यादा ऑक्सीजन का इस्तेमाल स्टील प्लांट में किया जाता है।
डॉ। त्रेहन ने बताया कि सरकार की तरफ से उद्योग, स्टील प्लांट्स से अपील की गई है कि वह ऑक्सीजन अस्पतालों को जाने दें। इस बीच सरकार ने दुबई से ऑक्सीजन से आयात शुरू भी कर दिया है। ऑक्सीजन का वितरण और उपयोग सही तरीके से करने की आवश्यकता है तभी हम सभी को ऑक्सीजन उपबल्ध कराएँगे।
स्वास्थ्य स्टाफ की कमी के सवाल पर उन्होंने कहा कि हमने सरकार को सुझाव दिया है कि जो एमबीबीस फाइनल इयर स्टूडेंट्स हैं, उसी तरह जो फाइनल ईयर नर्स हैं, जिनके एग्जाम पोस्टपोन हो गए हैं उन्हें को विभाजित पर काम करने की इजाजत दी जाएगी। जाए उनमें ग्रेस अंक दिए गए और नौकरी में भी वरियता दी गई।
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