हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा हर रोज उठता रहा है। आलम ये है कि शमशान घाटों पर चिताओं के लिए जगह नहीं मिल रही है। चारों ओर कोरोना के कारण हो रही मौतों का शोर सुनाई दे रहा है। हरिद्वार के तीन प्रमुख शमशान घाटों पर रोजाना 100 से ज्यादा चिताएं जल रही हैं। वहीं, शमशान घाटों पर जल रही चिताओं का आंकड़ा स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से अलग है।
मुश्किल भरे हालात हैं
हरिद्वार के खड़खड़ी शमशान घाट पर हालात बदतर हैं। यहां रोजाना 50-60 शव अंतिम संस्कार के लिए पहुंच रहे हैं। इतनी अधिक संख्या में शवों के अंतिम संस्कार होने से शमशान घाट के संसाधन भी कम पड़ रहे हैं। वहीं, लोग पैगै किट्टी, एंड फंक्शन श्मशान घाटों पर खुले में ही फेंक कर जा रहे हैं जिससे कोरोना संक्रमण के फैलने का खतरा और भी बढ़ रहा है। शमशान घाट के कर्मचारियों का कहना है कि हालात मुश्किल से भरे हैं लेकिन शवों का अंतिम संस्कार हर हाल में किया जा रहा है।
50 से ज्यादा अंतिम संस्कार हो रहे हैं
हरिद्वार के कनखल शमशान घाट पर भी बहुत बढ़ गया है। सामान्य दिनों में जहां 10 से 15 चिताएं जलती थीं। अब 50 से ज्यादा अंतिम संस्कार एक दिन में हो रहे हैं। शमशान घाटों के आंकड़ों को देखें तो हर रोज कोरोना संक्रमण से मरने वालों का आंकड़ा तकरीबन 30 के करीब होता है जबकि हरिद्वार जिले में स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के आधार पर हर रोज 15 से कम लोगों की मौत हो रही है।
पहले कभी ऐसा मंजर नहीं देखा था
हालांकि, हरिद्वार शमशान घाटों पर जिले से बाहर के लोग भी अंतिम संस्कार के लिए आते हैं और स्वास्थ्य विभाग को मृतकों का डेटा एक दिन बाद मिलता है। ये भी एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से भी मौत के सही आंकड़े ना मिल पा रहे हों। शमशान घाट का संचालन करने वाली समिति के सदस्य का कहना है कि शमशान घाट पर ऐसा मंजर उन्होंने पहले कभी नहीं देखा है।
ये भी पढ़ें:
UP Coronavirus Update: सामने आया 26780 नया केस, 24 घंटे में 353 लोगों की हुई मौत
बंगाल हिंसा: महंत नरेंद्र गिरी ने की ममता सरकार को बर्खास्त करने की मांग, बोले- हस्तक्षेप करे केंद्र सरकार
।
Homepage | Click Hear |