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Holi 2021: होली के दिन ग्रह-नक्षत्रों का बन रहा शुभ संयोग, जानिए होलिका दहन का समय, सभी शुभ मुहूर्त और कथा

by Sneha Shukla

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होली का त्योहार फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि से आरंभ हो जाता है। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक होली दो दिनों का त्योहार होता है। पूर्णिमा तिथि के दिन प्रदोष काल में होलिका पूजा और झाड़ किया जाता है। इसके अगले दिन रंगों वाली होली खेली जाती है। इस साल होली के दिन कई शुभ संयोग बन रहे हैं। होली के दिन धुँध योग बनने से इसका महत्व और बढ़ रहा है। कन्या राशि में चंद्रमा का गोचर और मंत्र राशि में पहले से ही शनि व गुरु विराजमान होंगे। जबकि शुक्र ग्रह और सूर्य मीन राशि में रहेंगे।

होलिका दहन 2021 शुभ मुहूर्त-

इस साल होलिका 28 मार्च (रविवार) को होगी। होलिका तैराकी का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 37 मिनट से रात 08 बजकर 56 मिनट तक है। जबकि 29 मार्च दिन सोमवार को देशभर में रंग वाली होली खेली जाएगी। इस दिन लोग एक-दूसरे को अबीर-गुलाल लगाकर होली की जीत देते हैं।

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होलिका दहन के दिन बनने से ये शुभ मुहूर्त

अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 07 मिनट से दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक।
अमृत ​​काल – सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 31 मिनट तक।
ब्रह्म मुहूर्त – सुबह 04 बजकर 50 मिनट से सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक।
सर्वार्थसिद्धि योग -सुबह 06 बजकर 26 मिनट से शाम 05 बजकर 36 मिनट तक। इसके बाद शाम 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।
अमृतसिद्धि योग – सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 29 मार्च की सुबह 06 बजकर 25 मिनट तक।

होलिका दहन कथा-

प्राचीन काल में हिरण्यकश्यपु नाम का एक असुर था। उन्होंने कठिन तपस्या कर भगवान ब्रह्मा को प्रसन्न कर वरदान प्राप्त कर लिया। वह किसी व्यक्ति द्वारा नहीं मारा जा सकेगा, न पशु, न दिन- रात में, न घर के अंदर न बाहर, न किसी अस्त्र और न किसी शस्त्र के प्रहार से मरेगा। इस वरदान के कारण वह अहंकारी बन गया था, वह खुद को भगवान समझने लगा था। वह चाहता था कि सब उसकी पूजा करें। उन्होंने अपने राज्य में भगवान विष्णु की पूजा पर पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकिशपुरी के पुत्र प्रह्राद विष्णु जी का परम उपासक था।हरिण्यकिशपुरी अपने पुत्र के द्वारा भगवान विष्णु की आराधना करने पर अत्यंत नाराज रहती थी, ऐसे में उसने उसे मारने का निर्णय लिया। हिरण्यकिशपुरा ने अपनी बहन होलिका से कहा कि वह अपनी गोद में प्रहलाद को लेकर प्रज्जवलित आग में बैठ जाए, क्योंकि होलिका को वरदान था कि वह अग्नि से नहीं जलेगी। जब होलिका ने ऐसा किया तो प्रहलाद को कुछ नहीं हुआ और होलिका जलकर जल गई।



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