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Lunar Eclipse 2021: कुछ दिन बाद लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, जानिए ग्रहण की अवधि और सूतक काल समेत ये जरूरी बातें

by Sneha Shukla

वर्ष 2021 का पहला चंद्र ग्रहण 26 मई 2021, दिन बुधवार को दिखेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण है। भारत में यह एक उपचया चंद्र ग्रहण है। संपूर्ण भारत में चंद्र ग्रहण न दिखने के कारण इसका चरम काल मान नहीं होगा।

वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण 2021 का समय-

भारतीय समय के अनुसार, यह दोपहर 2 बजकर 17 मिनट से शुरू होगी और शाम को 7 बजकर 19 मिनट तक रहेगा। ग्रहण की पहली उपचया 14:18 बजे और पूर्ण ग्रहण 16:43 से शुरू होगी। चंद्र ग्रहण अधिकतम 16:48 बजे होगा और ग्रहण का अंत 16:54 बजे होगा। चंद्र ग्रहण की कुल अवधि: 5 घंटे 2 मिनट तक है।

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उपचया चंद्र ग्रहण क्या होता है?

चंद्रमा पर सूर्य का प्रकाश कुछ कटा हुआ पहुंचता है। जिसके कारण उपचया चंद्र ग्रहण की स्थिति में चंद्रमा की सतह कुछ धुंधली सी दिखाई देने लगती है। इसे उपचया चंद्र ग्रहण कहते हैं।

साल का पहला चंद्र ग्रहण कहां-कहां देखा जा सकता है?

साल के पहले चंद्र ग्रहण को दक्षिण एशिया, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका, अटलांटिक और मनीफिक महासागर में देखा जा सकेगा।

वर्ष 2021 में चंद्र ग्रहण कैसे होगा?

वर्ष 2021 में दो चंद्र ग्रहण करेंगे। पहला चंद्र ग्रहण 26 मई और दूसरा चंद्र ग्रहण 19 नवंबर को लगेगा।

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2021 के दूसरे चंद्र ग्रहण का समय क्या है?

वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण भारतीय समय के रूप में 11 बजकर 32 मिनट से प्रारंभ होगा और 17:33 बजे समाप्त होगा।

वर्ष का दूसरा चंद्र ग्रहण देशों में आता है?

यह चंद्र ग्रहण भारत, अमेरिका, उत्तरी यूरोप, पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया और प्रशांत महासागर क्षेत्र में दिखाई देगा।

चंद्र ग्रहण का चरम काल-

चंद्र ग्रहण से 9 घंटे पहले सूतक अवधि शुरू हो जाती है। हालांकि 26 मई को लगने वाले ग्रहण में सूतक अवधि मान नहीं होगी।

चंद्र ग्रहण से जुड़ी पौराणिक कथा-

समुद्र मंथन के दौरान सुपभानु नामक एक दैत्य ने छल से अमृत पान करने की कोशिश की थी। तब चंद्रमा और सूर्य की इस पर नजर पड़ गई थी। इसके बाद दैत्य की हरकत के बारे में चंद्रमा और सूर्य ने भगवान विष्णु को जानकारी दे दी। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से इस दैत्य का सिर धड़ से अलग कर दिया। अमृत ​​की कुछ बंदू गले से नीचे उतरने के कारण ये दो दैत्य बन गए और अमर हो गए।

सिर वाला हिस्सा राहु और धड़ केतु के नाम से जाना गया। माना जाता है कि राहु और केतु इसी बात का बदला लेने के लिए समय-समय पर चंद्रमा और सूर्य पर हमला करते हैं। जब ये दोनों क्रूर ग्रह चंद्रमा और सूर्य को जकड़ते लेते हैं तो ग्रहण लगता है और इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा पैदा होती है और दोनों ही ग्रह कमजोर पड़ जाते हैं। इसलिए ग्रहण के दौरान शुभ कार्यों को करने की मनाही होती है।

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