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चंद्र ग्रहण का धार्मिक और ज्योतिष महत्व होने के साथ ही बहुत अधिक वैज्ञानिक महत्व भी होता है। विज्ञान के अनुसार सूर्य और चंद्रमा के बीच में जब पृथ्वी आ जाती है तो ये तीनों सीधी रेखा में होते हैं। इस स्थिति को चंद्र ग्रहण कहा जाता है। वहीं धार्मिक मान्यताओं के अनुसार चंद्र ग्रहण के समय चंद्रमा पीड़ित हो जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार जब राहु और केतु चंद्रमा को जकड़ लेते हैं तब चंद्र ग्रहण लगता है।
इस वर्ष चन्द्र ग्रहण कब लगेगा
- हिंदू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 26 मई 2021 को वर्ष का पहला चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। यह चंद्र ग्रहण उपचया ग्रहण कहा जाएगा।
उपचया चन्द्र ग्रहण
- उपचया चंद्र ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी, चंद्रमा और सूर्य एक सीधी रेखा में नहीं होते हैं। ऐसी स्थिति को उपचया चंद्र ग्रहण कहा जाता है। 26 मई 2021 को लगने वाला ई ग्रहण भी उपचया चंद्र ग्रहण है।
सूक्त काल मान नहीं होगा
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार उपचया चंद्र ग्रहण के दौरान सूक्त काल मान्य नहीं होता है। पूर्ण चंद्र ग्रहण के दौरान ग्रहण लगने से 9 घंटे पहले ही सूतक काल लग जाता है। 26 मई को लगने वाले ग्रहण के दौरान सूतक अवधि के नियमों का पालन नहीं किया जाएगा।
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