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Mahalakshmi puja : नवरात्रि में करें महालक्ष्मी के इन रूपों की आराधना, मां बरसाएंगी कृपा

Mahalakshmi puja : नवरात्रि में करें महालक्ष्मी के इन रूपों की आराधना, मां बरसाएंगी कृपा

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> चैत्र नवरात्र मंगलवार आज से आरंभ हो चुके हैं। इन माँ भगवती संह्बा आदि संभावना दुर्गा के नौ रूपों की साधना व पूजा की जाती है। नवरात्रि की पूजा शक्ति संचय के लिए की जाती है। इस समय प्रकृति सम अवस्था में रहती है। इसे संधिकाल भी कहता है। साधना के लिए इस समय श्रेष्ठ माना जाता है। नवरात्रि में ही विष्णुप्रिया महालक्ष्मी के आठ रूपों की भी पूजा अर्चना साधना की जा सकती है। इससे धनधान्य में वृद्धि होती है। लक्ष्मी जी के आठ रूप माने गए हैं। उनके हर रूप की पूजा से अलग-अलग फल की प्राप्ति होती है। महालक्ष्मी के रूपों को अष्टलक्ष्मी पुकारा जाता है।

यहाँ जानें माँ लक्ष्मी के आठ रूपों की आराधना को नवरात्र में किन रूप में पूजा जाता है। & nbsp;

आदि लक्ष्मी – महालक्ष्मी ने ही त्रिदेव को प्रकट किया है। इनसे ही महाकाली और महासरस्वती की उत्पत्ति हुई। में उसने स्वयं अवतार के पालनहार भगवान विष्णु के साथ रहने का निश्चय किया। ये प्राणदायिनी और मोक्ष क्रूजनी मानी गई हैं।

धन लक्ष्मी – माँ लक्ष्मी का दूसरा स्वरूप है। उन्हें धन की देवी ने कहा है। उनके एक हाथ में धन से भरा कलश और दूसरे हाथ में कमल का फूल होता है। इनकी आराधना से कर्ज से मुक्ति मिलती है।

गज लक्ष्मी – कमल पुष्प के ऊपर हाथी पर विराजमान रूप मां लक्ष्मी का गज लक्ष्मी स्वरूप कहलाता है। इनकी तस्वीर में दोनों ओर हाथी सूंड में जल के बारे में इनका जलाभिषेक कर रहे हैं। उन्हें कृषि और उर्वरता की देवी माना जाता है।

धान्य लक्ष्मी – माता का तीसरा स्वरूप धान्य लक्ष्मी अन्नपूर्णा अवतार माना जाता है। जिस घर में इनकी पूजा होती है वहां धान्य यानी अन्न का भंडार बना रहता है।

संतान लक्ष्मी – माता का संतान लक्ष्मी स्वरूप में उनकी चार भुजाएं हैं, दो भुजाओं में कलश और बाकी की दो में तलवार और ढाल धारण किए हुए हैं। जिन्हें संतान की कामना है, उन लोगों को संतान लक्ष्मी का पूजन करना चाहिए।

विजया लक्ष्मी – माता लक्ष्मी का सातवां स्वरूप विजया या जया लक्ष्मी का है। लाल साड़ी पहनकर कमल पर विराजमान होती हैं। इनकी पूजा करने से कोर्ट कचहरी का मसला हो या धन संपत्ति से जुड़ा मामला सुलझता है।

वीरा लक्ष्मी – उनका नाम ही स्पष्ट है कि ये स्वरूप वीरता का प्रतीक है। वीरा लक्ष्मी अपनी आठ भुजाओं में तरह-तरह के अस्त्र-शस्त्र धारण करती हैं। ये वीर और साहसी लोगों की आराध्य हैं।

विद्या लक्ष्मी – माता का आठवां स्वरूप है विद्या लक्ष्मी है जो सफेद साड़ी पहनती है। इनकी पूजा से ज्ञान की प्राप्ति होती है और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है।

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