ज्योतिष शास्त्र में राशियों को तत्व के अनुसार चार तत्वों में बांटा गया है। अग्नि, पृथ्वी, वायु और जल तत्व में 12 राशियां वर्गीकृत हैं। प्रत्येक वर्ग में तीन राशियां आती हैं। इनकी अपनी प्रकृति होती है। उनके अनुरूप व्रत त्यौहार में उनके सेवन में परहेज रखा जाता है। जबकि अन्य उपयोग में उन्हें प्रमुखता से शामिल किया जा सकता है।
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मेष, सिंह और धनु राशि को अग्नि तत्व की राशि माना जाता है। इन राशि वालों को व्रत के दौरान स्वल्पाहार में अधिक नमक मसाले वाली तीखी वस्तुओं से परहेज करना चाहिए। सूखे मेवों का प्रयोग भिगोकर या व्यंजन के माध्यम से लेना चाहिए। & nbsp;
पृथ्वी तत्व की राशियों में आरष, कन्या और मंगल आते हैं। उन्हें डेरी प्रॉडक्ट और घी दूध दही आदि से परहेज करना चाहिए। उन्हें फलाहार पर जोर देना चाहिए। सूखे मेवों का उपयोग भी कर सकते हैं।
वायु तत्व की राशियों में मिथुन, तुला और कुंभ राशियां आती हैं। उन्हें सब्जियां और फलदार आहार से बचना चाहिए। दूध दही घी और अन्य डेरी प्रॉडक्ट ये ग्रहण कर सकत हैं।
जल तत्व की राशियों में कर्क, वृश्चिक और मीन राशि आती हैं। इन राशि वालों को रसीले फल, शरबत और जूस का प्रयोग बेहद सीमित मात्रा में करना चाहिए। & nbsp;
व्रत फलाहार में प्रमुख रूप् से उन वस्तुओं को शामिल करने से परहेज करना चाहिए जिसमें आपकी राशि की तात्विक गुण अधिकता हो। । मौजूद होते हैं। व्रत के दौरान राशि के तत्व से संबंधित वस्तुओं का दान अधिक फलदायी होता है।
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