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Navratri 2021 5th Day Skandmata : नवरात्रि के पांचवें दिन होती है मां स्कंदमाता की पूजा, जानें विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व आरती और भोग

by Sneha Shukla

13 अप्रैल से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। कल यानी 17 अप्रैल, 2021 को नवरात्रि का पांचवां दिन है। नवरात्रि के पांचवे दिन मां के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं कि माता स्कंदमाता पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, आरती और भोग …

स्कंदमाता पूजा विधि …

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद स्वच्छ-स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • माँ की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएँ।
  • स्नान करने के बाद पुष्प अर्पित करें।
  • मां को रोली कुमकुम भी लगाएं।
  • माँ को मिष्ठान और पाँच प्रकार के पैरों का भोग पाते हैं।
  • मां स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • माँ की आरती अवश्य करें।

इस मंत्र का जप करें…।
सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।

नवरात्रि के पांचवे दिन की पूजा का महत्व

  • मां स्कंदमाता की पूजा- अर्चना करने से ज्ञान में वृद्धि होती है।
  • स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से भी छुटकारा मिल सकता है।
  • आत्मविश्वास में वृद्धि होती है।
  • मां स्कंदमाता जीवन में आने वाले संकटों को भी दूर करती हैं।

स्कंदमाता का मंत्र …
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।

  • स्कंदमाता कवच

ऐं बीजालिंका देवी पदगणम्घपरा।
हृदयं पातु सा देवी कार्तिकेय्युता सा
श्री हीं हुं देवी देवता पातु सर्वदा।
सर्वांग में सदा पातु स्कन्धमाता पुत्रप्रदा तु
भावव होमृते हुं फट् बीज समन्विता।
उत्तरोत्तर उपनग्नेव वरुणे नै तथतेअवतु ने
इन्द्राण भैरवी चैवासितांगी च संहारिणी।
सर्वदा पातु माँ की चान्यान्यासु हि दिक्षु वै माँ

  • स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कंद माता, पाँचवा नाम तुम्हारा आता है।
सब के मन की जान हारी, जग जननी सब की महतारी।
तेरी जयत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम ध्याता रहूं मैं।
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा।
कहीं पहाड़ों पर डेरा है, कई शहरों में तेरा निवास।
हर मंदिर में तुम्हारा नजरे गुण गाये, तुम्हारा भगत प्यारे भगति।
मुझे अपनी ताकत पर भरोसा है, मेरी बिगड़ी बना दो।
इन्दर आदी देवता मिल सब, पुकार ते द्वारे।
दानव दित्य जब चढ़ कर आये, आप ही खंडा हाथ पिके
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

तिथि -पंचमी
नक्षत्र -मृगशिरा
योग -शोभन
करन-बव
दुबारा
शुभ समय- प्रात: 7:35 से 9:11, दोपहर 1:57 बजे से शाम 5:08 बजे तक
राहुकाल- प्रात: 9:00 बजे से 10:30 बजे तक
दिशा शूल-पूर्व
योगिनी वास-दक्षिण
गुरु तार-उदित
शुक्र तारा-डिस
चंद्र स्थिति-मिथुन

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