18 अप्रैल, 2021 यानी कल नवरात्रि का छठ दिन है। 13 अप्रैल से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई थी। यह त्योहार नौ दिनों तक बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के दौरान मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। नवरात्रि के छठे दिन मां के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी का स्वरूप अंत्यत भव्य और उज्ज्वलला है। माँ की चार भुजाएँ हैं और माँ का वाहन सिंह है। आइए जानते हैं मां कात्यायनी पूजा विधि, महत्व, भोग, आरती और शुभ मुहूर्त …।
मां कात्यायनी पूजा विधि …
- सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाओ और फिर स्वच्छ- स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
- मां की प्रतिमा को शुद्ध जल या गंगाजल से स्नान कराएं।
- माँ को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
- माँ को स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
- माँ को रोली कुमकुम मिले।
- माँ को पाँच प्रकार के फल और मिष्ठान का भोग लगता है।
- मां कात्यायनी को हनी का भोग अवश्य लगता है।
- मां कात्यायनी का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- मां की आरती भी करें।
मां कात्यायनी की पूजा का महत्व
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी की पूजा- अर्चना करने से विवाह में आ रही परेशानियां दूर हो जाती हैं।
- मां कात्यायनी की पूजा करने से कुंडली में बृहस्पति मजबूत होता है।
- मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाने से सुंदर रूप की प्राप्ति होती है।
- मां कात्यायनी की विधि- विधान से पूजा- अर्चना करने से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
- शत्रुओं का भय समाप्त हो जाता है।
- मां कात्यायनी की कृपा से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी छुटकारा मिल जाता है।
गोधुलि बेला में करें मां कात्यायनी की पूजा
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कात्यायनी तीर्थ पूजा गोधुलि बेला में यानी शाम के समय करनी चाहिए।
- मां कात्यायनी का मंत्र
ॐ देव कात्यायन्यै नम :त्या
- मां कात्यायनी का प्रार्थना मंत्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दुलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी ं
- माँ कात्यायनी स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: नम
- मां कात्यायनी का ध्यान मंत्र
वन्दे वाञ्च मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम् चतु
स्वर्णवर्ण आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराहित करत षगपधरण कात्यायनसुतां भजामि ां
पटाम्बर परिधान स्मेरविच नानाल्कार भूशिताम्।
मज्जीर, हार, केयूर, किणिकिनी, रत्नकुंडल मण्डिताम्।
प्रसन्नवल्ल पल्लवधरण कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यं त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम् ण
- माँ कात्यायनी स्त्रोत
कञ्चनभान वराभय पद्मधरा मुट्टोज्जवलां।
स्मरिलन शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोतेस्तुते त्
पटाम्बर परिधान नानालङकार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोतेस्तुते द्
परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परम संभावना, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमो॥स्तुते क्ति
विश्वकर्ति, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीति।
विश्वाचिन्ता, विश्वातिता कात्यायनसुते नमोतेस्तुते,
कां बीजा, कां जपोंन्दकां बीज जप तोतेदे।
कां कां बीज जपदासकांतक का सन्तुता बीज
कांकरहर्षिणिकां धनदाधनमासना।
कां बी जपकारिणीकां बीज तप मानसा कार
कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी ंक
- मां कात्यायनी कवच मंत्र
कात्यायनौथम पातु कां स्वाहातुनी।
ललटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी पा
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी तु
- मां कात्यायनी की आरती-
जय-जय अम्बे जय कात्यायन
जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में आपकी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह त्योहार होते रहते हैं
हर मंदिर में भगत कहते हैं
कत्यानी गार्ड काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाला
बृहस्पतिवार को पूजा करते हैं
ध्यान कात्यायनी का पहुँचिए
हर संकट को दूर करेगा
भंडाफोड़ बहुत होगा
जो भी माँ को ‘चमन’ पुकारे
कात्यायनी सब कष्ट निवारे ।।
- 18 अप्रैल, 2021 पंचांग ।।।
सूर्योदय – 05:53
सूर्यास्त – 18:49
दिनांक- षष्ठी – 22:34 तक नक्षत्र- अर्धरात्रि – 05:02, 19 अप्रैल तक योग- अतिगंड – 19:56 तक, सुकर्मा
करन- कौलव – 09:37 तक, तैतिल – 22:34 तक, गर
पक्ष- योग्य वर
वार- रविवार
चन्द्र राशि- मिथुन
सूर्य राशि- मेष
सूर्य नक्षत्र- अश्विनी
ब्रह्म मुहूर्त- 04:23, 19 अप्रैल से 05:07, 19 अप्रैल
अभिजित मुहूर्त – 11:55 से 12:46 विजय मुहूर्त 14:30 से 15:22
गोधूलि मुहूर्त – 18:36 से 19:00
अमृत काल – 18:00 से 19:46
निशिता मुहूर्त– 23:58 से 00:42, 19 अप्रैल
त्रिपुष्कर योग – 05:02, अप्रैल 19 से 05:52, अप्रैल 19 रवि योग 05:53 से 05:02, अप्रैल 19
- अशुभ समय-
राहुकाल – 17:12 से 18:49 यमगड – 12:21 से 13:58
गुह्य काल – 15:35 से 17:12 दुर्मुहूर्त – 17:05 :57 17:57
वर्जीनिया – 11:50 से 13:35
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