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13 अप्रैल, 2021, मंगलवार से नवरात्रि के पावन पर्व का आगाज हो गया है। नवरात्रि के दौरान नौ दिनों तक मां के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। भक्त मां दुर्गा का आर्शीवाद प्राप्त करने के लिए व्रत भी रखते हैं। नवरात्रि के दौरान अष्टमी और नवमी तिथि का विशेष महत्व होता है। इस बार 20 अप्रैल को अष्टमी और 21 अप्रैल को नवमी तिथि है। चैत्र शुक्ल की नवमी तिथि पर ही राम नवमी का पावन पर्व भी मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान राम का जन्म हुआ था। अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजन का भी विशेष महत्व होता है। आइए जानते हैं कन्या पूजन से पहले कुछ जरूरी बातें …..
3 से 9 वर्ष की कन्याओं का पूजन
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्याओं के रूप में मां ही घर में प्रवेश करती हैं। कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरूप मानकर पूजा- अर्चना की होनी चाहिए। 3 से 9 वर्ष की कन्याओं का कन्या पूजन किया जाना चाहिए। इस उम्र की कन्याओं को मां का साक्षात स्वरूप कहा जाता है।
कन्या पूजन का महत्व
- धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 9 कन्याओं का पूजन किया जाता है। हर कन्या का अलग और विशेष महत्व होता है।
- एक कन्या का पूजन करने से ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
- दो कन्याओं का पूजन करने से भोग और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
- तीन कन्याओं का पूजन करने से अर्थ, धर्म और काम की प्राप्ति होती है।
- चार कन्याओं का पूजन करने से राज्यपद की प्राप्ति होती है।
- पाँच कन्याओं का पूजन करने से विद्या की प्राप्ति होती है।
- छह कन्याओं का पूजन करने से छह प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है।
- सात कन्याओं का पूजन करने से सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
- आठ कन्याओं का पूजन करने से खुशी- संपदा की प्राप्ति होती है।
- नौ कन्याओं का पूजन करने से पृथ्वी के प्रभुत्व की प्राप्ति होती है।
इन बातों का ध्यान रखें
- कन्याओं को हलवा, पुड़ी और चने का प्रसाद खिलाना चाहिए।
- कन्याओं को दक्षिणा देना न और। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कन्याओं को दक्षिणा देने से मां दुर्गा प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करती हैं।
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