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Parshuram Birthday 2021 Janmotsav Date Time : एक क्लिक में पढ़ें श्री परशुराम चालीसा, मिलेगी अद्भत शक्ति

by Sneha Shukla

अक्षय तृतीया के पावन दिन भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम का जन्म हुआ था। इस वर्ष 14 मई, 2021 को भगवान परशुराम का जन्मोत्सव मनाया जाएगा। इस दिन विधि- विधान से भगवान परशुराम की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम की पूजा- अर्चना करने से शक्ति का संचार होता है। इस पावन दिन श्री परशुराम चालीसा का पाठ अवश्य करें।

  • श्री परशुराम चालीसा

श्रीशिव गुरु स्वामी माहेश्वर धार्मिक तू कोटरी।
उमा सहीत क्रूजुका आशिवाद धार्मिक तू तारीफ कु

बुद्धिदेवता तव जानिकेएस परशु तुमार।
तव बल जान दुनिया दुनिया दुखी करे हहाकार दुनिया

। चौपाई।

जय परशुराम बलवान विश्व सार।
जय रामभद्र कहे लोक करे जागरूक भ11 े

शिविल भार्गव तव नाम।
रेइमेरका पुत्र जटाग्सनिस लामा ॥2।

विजयवीर नारायण तव अंगी।
छटातर सुमित के संगी ॥3 के

परशु तव सेवा दिसे सुवेसा।
ऋषि पुरिका तव मन श्रेय मुद्र4 व

हाथ शिवदर्शन्य भार्गव साजै।
विप्र कुल कांधे जनेउ साजै ॥5 े

विष्णु अंश ब्रह्मुलानंद
तव गाथा पढे करे जग वंदन ॥६ प

वेद ही जानत असे क्लस्टर।
शिवजी के शिष्य बलशाली भगुर। शाली

पृथ्वि करे निचित्त एक्कीस समया।
विप्र रक्षोनी दानवस मरिया र दुष्ट

भार्गव अवतारी तव गुन गावा।
कर्म स्वरूपु तव चिरंजीवी पावा ॥9 व

सहस्राजुण तव तु कोडारे।
पिता वचन तव तु पारे ०110 तु

पीता होत तव आगये।
माता शिरछेद कर तू होना १11 ेद

जमदग्नि कहे मम पुत्र प्रियई।
तुम जो चंद अर्शीवाद मांगे चां112 शि

भद्र कहते मम माता ही जगावन।
भ्राता सहीत मम सामोरी लावण ॥113 म

तव मुखमंडल दिसे ऋषिसा।
घोर तपस्वि पठन संधिता ॥114 वि

मुद्रा गिने कुबेर ही थक जांते।
तव धन कबि गिन ना पँते धन115 गिन

आप उपकार ब्रह्मकुले की आहना।
ब्रह्म मिलाय राज पद दीन्हा य11 पद

तुहमरो शक्ती सब जग जाना।
राक्षस काँपे तुमये भय ॥11ं ये

तुम चिरंजीव असे जग जानु।
जो करे तव भक्ती मधुर फल भानु ८11॥ क्

बुद्धिजीवी परशु हस्त तुज देई।
शिव धनुष्य माहेश्वर मिलमेई ्य11 ९ मिल

दानव संहार कर त्रिलोक जिते।
ब्रह्मकुल के तुम भाग्य वर्ते ॥२० विधा

ऋषि मुनि के तुम रखवारे।
शिव आज्ञा होत दुहित को कोडवारे ॥211 हीत

सब जग आये तुहमरी शरना।
तुम रच्छक काहू को डर ना च्छ२२ हू

परशु चमक रव ही छुपै।
भार्गव नाम सुनत दानव थर कांपै ॥२३ सुन

रेणुका पुत्र का नाम जब आंव।
तब तव गान सहस्र जुग गांवै ॥२४ सह

परशुराम नाम सुरा।
जपत बेविवारा ५२५ रा

संकट पडे तो भद्र बचानव।
मन से ध्यान भार्गव जो लांव ॥२६ ग

जगत के तुम तपस्वी राजा।
ब्रह्मकुल जन्मे उपकार धार्मिक वर कीजा ७२॥ उप

इच्छा धृत तुज भक्ती जो गीवई।
वांछित जो तिज फल पावै ८22 त प

भार्गव नाम सुनित होय उगियारा
आज्ञा पालत तव जग दिवाकरा त२ ९ व

राम सह धनुर युद्ध पुकारे।
अवतार सप्तम समाज दुवारे प्त330 ज

युद्ध कौशल्य वेदो को पता है
कौतुक देखे रेणुका माता ॥311 णु

चारो जुग तुज कीर्तीमासा।
दुखद ब्रह्मुल के रासा २32 रा

तेहतिस कोट देव तज गुन गावै।
भार्गव नाम लेत सब दुख बिसरावै ॥३३ ले

तुज नाम महीमागे माई।
जनम जनम करे पुण्य कमा जन३४ पु

म्हारे चित्त तुज दुज ना जाई।
सभी सेई सब खुशी धार्मिक पाई ५35 मज

परशुराम नाम सुने भागे पीरा।
भद्र नाम सुनत उठे ब्रह्मविरा ॥३६ उठ

जय परशुराम
तुज कृपा करहु भार्गव नान ७3॥ ु

पठे जो यह शत बार नहीं।
भार्गव कृपा कि सदैव होई ८3॥ उस

पढित यह परशुराम चालीसा।
सुख शंती नांदे रहे विष्णुदासा ॥३ ९ न

वसंतसुत पुरुषोत्तम राज अस तायारा।
तज भक्ती मोही जुग जग सारा ॥४० मो

। दोहा।

रेणुका नंदन नारायण अंश ब्रह्मुल रूप।
परशुराम भार्गव रामभद्र ह्रदयय बसय भुप ग

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