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हर महीने की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष व्रत किया जाता है। महीने में दो बार प्रदोष व्रत पड़ता है, एक कृष्ण पक्ष और एक शुक्ल पक्ष में। चैत्र माह की शुक्ल पक्ष में प्रदोष व्रत शनिवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसे शनि प्रदोष व्रत कहा जाएगा। 24 अप्रैल, 2021 को चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन विधि- विधान से भगवान शंकर और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए। आइए जानते हैं शनि प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, महत्व और पूजा विधि …
प्रदोष व्रत पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में की जात है। सूर्यास्त से 45 मिनट पूर्व और सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक का समय प्रदोष काल माना जाता है।
- प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव का अभिषेक करें व बेलपत्र भी अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव के मंत्रों का जप करें।
- जप के बाद प्रदोष व्रत कथा सुनें।
- अंत में आरती करें और पूरे परिवार में प्रसाद बांटे।
प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त
- त्रयोदशी तिथि आरंभ- 24 अप्रैल 2021, शनिवार, शाम 7 बजकर 17 मिनट से
- त्रयोदशी तिथि समाप्त- 25 अप्रैल 2021, रविवार, शाम 04 बजकर 12 मिनट
- प्रदोष व्रत पूजा का समय- 24 अप्रैल, शनिवार, शाम 07 बजकर 17 मिनट से रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक
शनि प्रदोष व्रत का महत्व
- शनि प्रदोष व्रत करने से भगवान शंकर और माता पार्वती की विशेष कृपा प्राप्त होती है।
- सभी तरह के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
- शनि प्रदोष व्रत करने से शनि देव के अशुभ प्रभावों से भी बचा जा सकता है।
- धार्मिक मान्यता के अनुसार शनि प्रदोष व्रत करने से निसंतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति भी हो जाती है।
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