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प्रवाल क्या है? प्रकार, निर्माण और उपयोग क्या है?

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by Sonal Shukla

दोस्तों, जब आप पर्यावरण विज्ञान पढ़ते हैं तब इसके अंतर्गत प्रवाल भित्ति के बारे में या प्रवाल के बारे में आपसे कई बार सवाल पूछा जाता है, और आप में से कई लोग इसका जवाब भी नहीं दे पाते। क्या आप भी जानना चाहते हैं कि प्रवाल क्या है?

यदि आप भी किताबी भाषा से थक चुके हैं और आसान भाषा में जानना चाहते हैं कि प्रवाल क्या है तो आज हम आपको बताएंगे कि प्रवाल क्या होता है, इसका जन्म कब हुआ, यह किस से बना होता है, यह कितने प्रकार का होता है, इन सब के बारे में आज आप सही से जानकारी प्राप्त कर पाएंगे।

आप समझ पाएंगे कि प्रवाल क्या होता है। आज का हमारा लेख पढ़ने के पश्चात आप इस बात का पूरा ज्ञान प्राप्त कर सकेंगे कि प्रवाल क्या है यदि आप इसके बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं तो हमारे साथ अब तक जुड़े रहिएगा। तो चलिए शुरू करते हैं –

प्रवाल क्या है? | praval kya hai

praval kya hai

दोस्तों, प्रवाल या फिर प्रवाल भित्तियां मूल रूप से समुंदर के अंदर स्थित कुछ चट्टाने होती हैं, जो प्रभावों के द्वारा छोड़े गए कैल्शियम कार्बोनेट से बनी होती है। यह कुछ छोटे-छोटे जीवो की पूरी दुनिया होती है, अर्थात यह मूल रूप से प्रवाल शैल श्रेणियां होती है, जो गर्म और उथले सागर में विशेष प्रकार से बनती है।

यह आमतौर पर प्रशांत महासागर और उपोष्णदेशीय दीपों के मध्य काफी अधिक पाई जाती है ऐसा भी देखा गया है कि प्रवाल भित्तियां लगभग 5,00,000 वर्ग मील में फैली हुई है।

इनकी तरंग तथा इनके रंग बिरंगे केसियम मलवा अपने छोटे छोटे आकार के कारण समुद्री जीवो को भी अपने पास एकत्र रखती है। इनमें से अधिकांश क्षेत्र के नीचे समुद्र का पैंदा दिखाई देता है।

आज के समय आज के समय प्रवाल के अंतर्गत कई ऐसे महान रहस्य छुपे हुए हैं जिनका उजागर होना मानव समाज की एक बहुत बड़ी कामयाबी हो सकती है।

कैल्शियम कार्बोनेट की इन भव्य शैल श्रेणियां का निर्माण विभाग में प्रजनन अनुकूलन के द्वारा होता है। कई हजारों की तादाद में प्रवाल उपनिवेश मिलकर इन महान चट्टानों का निर्माण करते हैं।

इनके निर्माण करने के पीछे पॉलिप समुद्री जल का महत्वपूर्ण योगदान होता है। पॉलिप समुद्री जल में घुले हुए जल को लेकर अपने शरीर के चारों ओर कैलशियम कार्बोनेट का श्रवण करते हैं।

इन पॉलिपोर के द्वारा ही प्रवाल निवह का निर्माण होता है। जिस प्रकार प्रवाल दिवस का विस्तार होता है उसी प्रकार इन के क्षेत्रफल में लगातार वृद्धि होती रहती है।

बुरे प्रवाल बढ़ जाते हैं और नए प्रवाल में जन्म लेते हैं। मृतक प्रवाल के शरीर से ही प्रवाल की आने वाली नई पीढ़ियों का जन्म होता है। यह अपने आप में एक चमत्कार जैसा है कि बूढ़ी संतति नीचे दबती चली जाती है और ऊपर के ऊपर नए प्रवाल कालांतर में पैदा होते रहते हैं।

आने वाले समय में यही संचित अवसाद श्वेत स्पंजी चुना पत्थर के रूप में एकत्रित हो जाते हैं। इनसे एक ऐसी चट्टानों की श्रेणियां बनती है जो समुद्र तल तक आ जाने तक भी लगातार आगे बढ़ती रहती है।

क्योंकि एक खुले वातावरण में ही है कुछ घंटों से अधिक जीवित नहीं रह पाते। इन्हें समुद्र का जल जीवित रहने के लिए आवश्यक होता है।

प्रवाल भित्ति कितने प्रकार की होती है?

प्रवाल भित्तियाँ आम तौर पर कुछ तीन प्रकार की होती हैं। इनमें तटीय प्रवाल भित्तियाँ, इसके पश्चात प्रवाल रोधीका, और अडल या प्रवाल द्वीप वलय होते हैं। यह तीन प्रकार की प्रवाल भित्तियों के प्रकार आम तौर पर समुद्र में देखी जा सकते हैं।

प्रवाल का निर्माण कैसे होता है?

प्रबल का निर्माण आमतौर पर यह देखा गया है कि समुद्री ज्वालामुखी के क्षेत्र के आसपास होता है। पहली दशा में जब ज्वालामुखी पर्वत थोड़ा धंस जाता है, और किनारों पर प्रवाल की चट्टाने बनती है तब तटीय प्रवाल भित्ति का निर्माण होता है।

इसके पश्चात पर्वतों के नीचे धंस जाने को लेकर प्रवाल द्वीप और बोले पर्वत अलग हो जाता है। इससे प्रवाल रोधिकाओं का निर्माण होता है, और जब किसी भी बड़ी पर्वत श्रृंखला का भूस्खलन या धंसाव देखा जाता है तो वहां पर बड़ी-बड़ी प्रवाल श्रेणियों का निर्माण हो जाता है।

चौथी विधि के अंतर्गत एक वलय का अर्थ प्रवाल द्वीप का निर्माण होता है, जो कि अन्य किसी प्रवाल के समान नहीं होती है, क्योंकि दिशा में जब कोई बड़ा चट्टान का टुकड़ा समुद्र के अंदर घुस जाता है, तो उस पर कालांतर में वलय पर्वत के ऊपर प्रवाल जीव का निर्माण देखा जा सकता है।

प्रवाल के क्या उपयोग है?

प्रवाल के कई उपयोग होते हैं:-

  • सबसे अधिक प्रवाल का उपयोग अर्थात मूंगे का उपयोग आभूषणों के निर्माण में किया जाता है।
  • इसका कवच काफी कुछ और होता है और बाहर का भाग निकाल देने के पश्चात एक बेहतरीन प्रकार की पॉलिश प्राप्त कर सकता है।
  • यह आमतौर पर लाल पीला गुलाबी भूरा रंग काला इत्यादि रंग में देखा जा सकता है।
  • आज के समय कई लोग मूंगे को गले में भी धारण करते हैं, और कई लोग इसके अंगूठी बनाकर पहनते हैं।
  • अपनी कठोरता के कारण यह स्थाई रूप से किसी भी आभूषण में फिट हो जाता है, और इसका आमतौर पर घनत्व 2।68 होता है।
  • इसमें अपद्रव्यों के रंग भी पाए जाते हैं। गुलाबी रंग का मूंगा आमतौर पर मैंगनीज जी के लेश में रहता है।
  • साथ ही साथ इसका उपयोग कृत्रिम रूप से मुंगे के विभेदन में किया जाता है।
  • इसमें आयुर्वेदिक औषधियों के लिए प्रवाल भस्म की प्रचुरता होती है, अर्थात इसका का उपयोग प्रवाल भस्म के रूप में भी किया जा सकता है।

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निष्कर्ष

दोस्तों, आज के लेख में हमने आपको बताया कि प्रवाल भित्ति क्या है, या प्रवाल क्या है। इसके अलावा हमने आपको प्रवाल के बारे में और भी कई प्रकार की विशेष जानकारी उपलब्ध कराने की छोटी सी कोशिश की है।

हम आशा करते हैं कि आज का हमारा यह लेख पढ़ने के पश्चात आप यह समझ पाएंगे कि प्रवाल क्या है। जानकारी अच्छी लगी हो तो कृपया इस लेख को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें। यदि आपके मन में इस लेख से संबंधित कोई सवाल है जो आप हमसे पूछना चाहते हैं तो कमेंट बॉक्स में कमेंट करके पूछ सकते हैं।

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