<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> दिल्ली, बिहार, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक सहित देश के किसी भी हिस्से में सोमवार को रमज़ान का चांद नहीं दिखा, लिहाज़ा पहला रोज़ा बुधवार को होगा। दिल्ली के चांदनी चौक में स्थित फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मौलाना मुफ्ती मुकर्रम अहमद ने & lsquo; पीटीआई-भाषा & rsquo; को बताया, & ldquo; दिल्ली में सोमवार को रमज़ान का चांद नज़र नहीं आया है। इसलिए पहला रोज़ा 14 अप्रैल यानी बुधवार को होगा। & rdquo;
उन्होंने कहा कि मंगलवार को इस्लामिक कलेंडर के आठवें महीने शाबान का 30 वां दिन होगा। जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद भंडारी ने सार्वजनिक बयान जारी कर बताया, & ldquo; उत्तर प्रदेश, राज्य, मध्य प्रदेश, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, असम कर्नाटक और पश्चिम बंगाल सहित कई सूबों में राब्ता (संपर्क) कायम किया गया और कहीं से भी चांद नज़र आने की खबर नहीं मिली है। & rdquo; & nbsp; <पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> 14 अप्रैल को पहला रोज़ा
उन्होंने कहा, & lsquo; & lsquo; ऐलान किया जाता है कि पहला दैनिक 14 अप्रैल को बुधवार को होगा। & rdquo; इमरत-ए-शरिया-ए-हिंद ने भी एक बयान में ऐलान किया कि आज देश में कहीं भी चांद नज़र नहीं आया है और पहले रोज़ा 14 अप्रैल को होगा।
मुफ्ती मुकर्रम ने कहा कि कोरोनावायरस के बढ़ते मामलों को देखते हुए लोगों से अपील की गई है कि रमज़ान के महीने में होने वाली विशेष नमाज़ & lsquo; ताराहवी & rsquo; को घर में रखने के लिए। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से इसे लेकर कोई स्पष्ट निर्देश-निर्देश नहीं है, फिर भी लोगों से घर में ही & lsquo; ताराहवी & rsquo; की नमाज़ अदा करने की गुज़ारिश की गई है।
फतेहपुरी मस्जिद के इमाम ने कहा कि & lsquo; ताराहवी & rsquo; में पूरे कुरान का पाठ करना जरूरी नहीं होता है, लेकिन यह विशेष नमाज जरूरी होता है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, & lsquo; तरावी & rsquo; हो सकता है, लेकिन इससे मस्जिदों में भीड़ होगी, इसलिए & lsquo; हम लोगों से गुजरातियों की है वे घरों में ही ताराहवी की नमाज़ अदा करें। & rdquo;
रमजान इस्लामिक कलेंडर का नौवां महीना
बता दें कि, & lsquo; तराहवी की नमाज़ & rsquo; में हाफ़िज़-ए-कुरान (जिसे कुरान मुंह-जुबानी याद होता है) इस पवित्र किताब का पाठ करता है और उसके पीछे बड़ी संख्या में लोग कुरान सुनते हैं। & nbsp;
रमज़ान इस्लामिक कलेंडर का नौवां महीना है। इस पूरे महीने जानने के लिए मुस्लिम सूरज निकलने से पहले से लेकर सूर्य अस्त होने तक कुछ खाने-पीते नहीं हैं। यह रोज़ा कहा जाता है। इस महीने की मुसलमानों के बीच काफी अहमियत है और समुदाय के लोग बड़ी संख्या में मस्जिदों का रुख कर नमाज़ अदा करते हैं और अन्य इबादतें करते हैं।
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