रोहिणी व्रत 2021: रोहिणी व्रत का पर्व जैन समुदाय के लोगों में बहुत ही हर्षौल्लास के साथ मनाया जाता है। यह त्योहार आज यानी 16 अप्रैल 2021 को मनाया जा रहा है। रोहिणी व्रत, रोहिणी नक्षत्र के दिन मनाया जाता है। इसी तरह इस व्रत को रोहिणी व्रत कहते हैं। इस व्रत पुरुष और महिला दोनों के द्वारा किया जाता है। हालांकि ऐसा माना गया है कि रोहिणी व्रत महिलाओं को अनिवार्य रूप से करना चाहिए। रोहिणी व्रत का पारण रोहिणी नक्षत्र के समाप्त होने और मार्गशीर्ष नक्षत्र के प्रारंभ होने पर किया जाता है। हर साल 12 रोहिणी व्रत आते हैं।
ऐसी मान्यता है कि रोहिणी व्रत का पालन लगातार 3, 5 या 7 वर्षों में पूरा किया जाता है। अगर इस व्रत के लिए उचित अवधि की बात करें तो यह अवधि 5 साल 5 महीने की है। इस व्रत का समापन उद्दापन के द्वारा ही किया जाना चाहिए।
रोहिणी व्रत का शुभ मुहूर्त:
- नक्षत्र: रोहिणी- रात 11 बजकर 40 मिनट तक
- राहुकाल: सुबह 10 बजकर 44 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक
- अभिजित मुहूर्त– सुबह 11 बजकर 55 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक
- ब्रह्म मुहूर्त– 17 अप्रैल को 04:14 बजे से 04:59 बजे तक
- विजय मुहूर्त– दोपहर बाद 02:17 बजे से शाम 03:08 बजे तक।
- गोधूलि मुहूर्त– शाम 06:20 बजे से शाम 06:44 बजे तक
- अमृत काल– शाम 08:03 बजे से रात 09:52 बजे तक
पूजा विधि: रोहिणी व्रत करने वाले को सबसे पहले ब्रह्म मुहूर्त में उठकर घर की सफाई करें। उसके बाद नित्य कर्म से निवृत होकर, स्नानादि जल में गंगा जल सहित करें। उसके बाद व्रत का संकल्प लें।अब सूर्य भगवान को जल का अर्घ्य दें। व्रतधारी सूर्यास्त के पहले फलाहार कर लें, क्योंकि सूर्यास्त के बाद किसी प्रकार का भोजन करना रोहिणी व्रत में वर्जित होता है।
रोहिणी व्रत महत्व
जैन समुदाय में ऐसी मान्यता है कि रोहिणी व्रत करने से व्रती को कर्म-बंधन से छुटकारा मिलता है। इस व्रत का विशेष फल प्राप्त होता है। रोहिणी व्रत से आत्मा का विकार दूर होता है।
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