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हर महीने में दो बार चतुर्थी तिथि पड़ती है। एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में। ये दोनों तिथियां भगवान गणेश को समर्पित होती हैं। शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी और कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। वैशाख के पावन माह में पड़ने वाली संकष्टी चतुर्थी को विकट संकष्टी चतुर्थी भी कहा गया है। कल यानी 30 अप्रैल, शुक्रवार को विकट संकष्टी है। इस पावन दिन भगवान गणेश की विधि- विधान से पूजा- अर्चना की जाती है। आइए जानते हैं विकट संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, महत्व …
पूजा विधि
- इस पावन दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
- स्वच्छ- स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- इसके बाद घर के मंदिर में दीपक प्रज्वलित करें।
- इसके बाद भगवान गणेश और सभी देवी-देवताओं को स्नान करवाएं।
- भगवान गणेश को दूर्वा अर्पित करें।
- भगवान गणेश का अधिक से अधिक ध्यान करें।
- भगवान गणेश को भोग अवश्य पाते हैं। इस बात का ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। आप मोदक या लॉर्डडम्स का भोग भी लगा सकते हैं।
- भगवान गणेश की आरती करें।
- रात में चंद्रमा के दर्शन व अर्घ्य देने के बाद व्रत खोलें।
शुभ मुहूर्त
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ – 29 अप्रैल 2021 रात 10 बजकर 9 मिनट से
- चतुर्थी तिथि समाप्त – 30 अप्रैल 2021 को 7 बजकर 9 मिनट तक
- चंद्रोदय का समय – रात 10 बजकर 48 मिनट
संकष्टी चतुर्थी तिथि महत्व
- इस दिन भगवान गणेश की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
- भगवान गणेश की कृपा से सभी कार्य आसानी से पूरे हो जाते हैं।
- कार्यों में विघ्न नहीं आता है।
- इस पावन दिवस चंद्रमा के दर्शन करने का भी बहुत अधिक महत्व होता है।
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