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SC ने पूछा- केंद्र वैक्सीन खरीद कर राज्यों को क्यों नहीं देता? सभी सरकारों से कहा- यह समय राजनीति करने का नहीं

by Sneha Shukla

सुप्रीम कोर्ट ने आज केंद्र सरकार से पूछा कि वह कोविभाजन को पूरी तरह से अपने हाथ में क्यों नहीं ले रही है? कोर्ट ने पूछा कि केंद्र सरकार ने वैक्सीन का कुछ हिस्सा खरीदने के बाद आगे का मामला निर्माता कंपनियों और राज्य सरकारों के बीच क्यों छोड़ दिया?

केंद्र क्यों नहीं 100 प्रतिशत वैक्सीन की खरीद कर उसे राज्यों में आवंटित कर रहा है? कोर्ट में सभी नागरिकों को मुफ्त में कोविंद वैक्सीन लगाने पर विचार के लिए भी कहा। देश में कोरोना की स्थिति पर संज्ञान देखकर परीक्षण कर रहे सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़, एल नागेश्वर राव और एस रविंद्र भाट की बेंच ने आज एक बार फिर वैक्सीन की अलग-अलग कीमत का मसला उठाया।

कोविड वैक्सीन विकसित करने में सरकार ने कितने पैसे दिए हैं?

जजों ने यह भी कहा कि कंपनी एस्ट्रेजनेका अमेरिका को जिस कीमत पर वैक्सीन दे रही है, उससे अधिक कीमत भारत में क्यों रखी गई है? जजों ने कहा, “केंद्र को इस बात की जानकारी देनी चाहिए कि को विभाजित वैक्सीन विकसित करने में सरकार ने कितने पैसे दिए हैं? अगर इसमें सरकारी पैसा लगाया गया है, तो फिर यह वैक्सीन सार्वजनिक संसाधन है। इसका इस्तेमाल लोगों के हित के लिए किया जाए। चाहिए। अगर कोई बाधा नहीं है, तो सरकार उसे अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करती है।

कोर्ट ने कोविन ऐप के माध्यम से टीकाकरण के लिए लोगों का पंजीकरण करने पर भी सवाल उठाया। जजों ने यह पूछा कि जो लोग निरक्षर हैं, उनका पंजीकरण किस तरह से हो पाएगा? देश में जरूरी दवाओं की कमी के बीच कोर्ट ने सुझाव दिया कि केंद्र सरकार बांग्लादेश में बनाए गए जेनेरिक रेमडेसिवर को भारत में बनाने का अंतरिम लाइसेंस हासिल करने की कोशिश करे।

दिल्ली की मांग 700 टन है।

जगेस ने ऑक्सीजन के अभाव में लोगों के तड़के पर चिंता जताई। कोर्ट ने ऑक्सीजन के वितरण के लिए केंद्र सरकार की तरफ से बनाई गई नोडल एजेंसी की बातों को भी सुना। इस दौरान दिल्ली में ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर कुछ विवाद भी हुआ। कोर्ट ने कहा कि जब दिल्ली की मांग 700 मिलियन टन की है तो फिर 490 मिलियन टन ही क्यों दिया जा रहा है।

इसके जवाब में केंद्र ने बताया कि दिल्ली ने शुरू में कुछ और मांग की थी। बाद में अचानक 700 मिलियन टन कहना शुरू कर दिया। दिल्ली को जो 490 मिलियन टन दिया गया है, उसे भी उठा लेना में राज्य सरकार ने नाम लिया है। उसके पास संसाधन नहीं है। इस पर जजों ने कहा कि अगर दिल्ली ऑक्सीजन उठा नहीं पा रही है, तो भी उसकी मदद करे। केंद्र सरकार की भी दिल्ली के लोगों के प्रति जवाबदेही है।

दिल्ली सरकार को सलाह दी कि वह भी राजनीति न करे- कोर्ट

केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने जजों को आश्वासन दिया कि कोर्ट के इस निर्देश का पूरी तरह से पालन होगा। कोर्ट ने केंद्र के इस रवैये की सराहना की और दिल्ली सरकार को सलाह दी कि वह भी राजनीति न करे। बेंच के अध्यक्ष जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, “राजनीति चुनाव के समय की जाती है। इस तरह की विपत्ति में नहीं। हम निर्देश देते हैं कि दिल्ली के मुख्य सचिव सल्लिसीटर जनरल से तुरंत संपर्क करें। दिल्ली के लोगों के लिए ऑक्सीजन और जरूरी है। दवाओं को बढ़ाने के लिए केंद्र के साथ सहयोग भरा रवैया है। “

लगभग 4 घंटे चले परीक्षण के दौरान कई और मसले उठे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पूरे मसले पर विस्तृत आदेश जारी किया जाएगा। यह आदेश शनिवार सुबह कोर्ट की वेबसाइट में अपलोड होगा। कोर्ट ने संकेत दिए हैं कि उसके आदेश में को विभाजित प्रबंधन को लेकर वर्तमान में अपनाई जा रही नीति में कुछ बदलाव का भी निर्देश होगा।

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