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हिंदू धर्म में हर महीने आने वाली पूर्णिमा का विशेष महत्व होता है। हिंदू पंचांग के अनार, हर महीने में एक अमावस्या तिथि आती है। ऐसे में पूरे साल में कुल 12 अमावस्या पड़ती हैं। सोमवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। इस दिन हरिद्वार महाकुंभ का दूसरा शाही स्नान भी होगा। इस वर्ष सोमवती अमावस्या के दिन वैधता और विष्कंभ योग बन रहा है। खास बात यह है कि पूरे साल में सिर्फ एक ही सोमवती अमावस्या पड़ रही है।
सोमवती अमावस्या के दिन वैधता योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विस्कुम्भ योग लग जाएगा। जबकि इस दिन रेवती नक्षत्र सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक रहेगा, उसके बाद अश्विनी नक्षत्र लगेगा। चंद्रमा सुबह 11 बजकर 30 मिनट कर मीन राशि, उसके बाद मेष पर संचार करेगा। सूर्य मीन राशि में रहेगा।
1. विदुघ योग: ज्योतिष शास्त्र में इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है इसीलिए इसका नाम विस्कुभ योग है। जिस तरह से विष का सेवन करने पर पूरे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है उसी तरह इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान है। यानी इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ होता है।
2 .धर्मविज्ञान योग: यह योग स्थिर कार्यों के लिए ठीक है, लेकिन यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य या यात्रा आदि करना चाहिए तो इस योग में नहीं होना चाहिए।
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सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त- 04:17 ए। एम।, 13 अप्रैल से 05:02 ए। एम।, 13 अप्रैल तक।
अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:35 पी एम तक।
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक।
गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम तक।
अमृत काल- 08:51 ए एम से 10:37 ए एम तक।
निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:32 ए एम।, 13 अप्रैल तक।
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सोमवती अमावस्या के दिन बनने से ये अशुभ मुहूर्त
राहुकाल- 07:23 ए एम से 08:59 ए एम तक।
यमगंड- 10:34 ए एम से 12:10 पी एम तक।
गुलिक काल- 01:45 पी एम से 03:20 पी एम तक।
दुर्मुहूर्त- 12:35 पी एम से 01:26 पी एम तक।
गण्ड मूल- पूरा दिन।
पंचक- 05:48 ए एम से 11:30 ए एम तक।
सोमवती अमावस्या का महत्व-
मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन व्रत रखने से भक्त की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है। कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति को पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करना शुभ फलदायक माना गया है। मान्यता है कि पीपल के पेड़ में देवी-देवताओं का वास होता है। ऐसे में पीपल की पूजा करने से सभी देवता पूजित होते हैं। कहते हैं कि ऐसा करने से सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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