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हर महीने में दो बार एकादशी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। पूरे साल में 24 एकादशी तिथि पड़ती हैं। हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बहुत प्रिय होती है। इस दिन विधि- विधान से भगवान विष्णु की पूजा- अर्चना की जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार वैशाख माह में कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को वरुथिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। आइए जानते हैं वरुथिनी एकादशी तिथि, महत्व, कथा, शुभ मुहूर्त
वरुथिनी एकादशी तिथि
- इस वर्ष 7 मई, 2021 को वरुथिनी एकादशी पड़ रही है। इस एकादशी को बरुथनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वरुथिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा- अर्चना की जाती है।
वरुथिनी एकादशी का महत्व
- वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से बुरी किस्मत तो बहुत दूर जा सकती है।
- इस व्रत को रखने वाले व्यक्ति अपने जीवन में समृद्धि, प्रचुरता और भाग्य प्राप्त करता है।
- इस पावन दिन व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
वरुथिनी एकादशी कथा
- पौराणिक कथाओं के अनुसार जब भगवान शिव ने कोध्रित हो ब्रह्मा जी का पांचवां सर काट दिया था, तो उन्हें शाप लग गया था। इस शाप से मुक्ति के लिए भगवान शिव ने वरुथिनी एकादशी का व्रत किया था। वरुथिनी एकादशी का व्रत करने से भगवान शिव शाप और पाप से मुक्त हो गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस एक दिन व्रत रखने का फल कई वर्षों की तपस्या के समान है।
वरुथिनी एकादशी व्रत मुहूर्त
- वरुथिनी एकादशी पारणा मुहूर्त: 8, मई को 05:35:17 से 08:16:17 तक
- अवधि: 2 घंटे 41 मिनट
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