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Vinayaka Chaturthi 2021 : आज है विनायक चतुर्थी, इस चालीसा का पाठ करने से होते हैं विघ्नहर्ता खुश

by Sneha Shukla

आज फिर 15 मई, 2021 को विनायक चतुर्थी है। आज के दिन विधान-व्यवस्था से गणेश की पूजा- व्यवस्था है। भगवान गणेश की विशेष कृपा प्राप्त करने के लिए श्री गणेश चालीसा का पाठ भी आवश्यक है. श्री गणेश चालीसा का पाठ करने से गणेश प्रसन्न होते हैं और सभी मनोभावों को पूरा करते हैं।

  • श्री गणेश चालीसा

दोहा

जय गणपति सद्गुण घर के कविवर बदन कृपाल।

विघ्न हरण मंगल करण जय जय गिरिजालाल॥

जय जय जय गणपति राजू।

मंगल भरण गुण शुभ काजू॥

जय गजबदन घर के सदस्य।

विश्व विनायक बुद्धि विधाता॥

वक्र तुण्ड सुचि शुण्ड सुहावन।

तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥

राजित मणि मुक्त उर मलिका।

गोल्डन कुट सिर नयन विशाला॥

पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं।

सुगन्धित फूलं

सुंदर पीताम्बर तन साजित।

चरण पादका मुनि मन राजित

धनि शिवसुवन षडान भ्राता।

गौरी ललन विश्व-विविधता॥

ऋद्धि—सिद्धि तव चँवरडुलावे।

मूषक वाहन सोहत दर्जे॥

कहौ जन्म शुभ कथा।

शुचि पावन मंगल अतिवादी

एक समय गिरिराज कुमारी।

पुत्र

भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा।

तो तुम तुम धरि द्विज रूपा।

अतिथि जानी गौरी सुखी।

बहुविधि सेवा करी

अति प्रसन्ना ह्वै तुम वर दीन्हा।

मातु श्रेष्ठ हित जो कि किन्हा॥

मिलहिन तुहि बुद्धि विशाला।

बी ग्रैफ कॉर्टिंग यह काला॥

गणना गुण ज्ञान निधाना।

पूज्य प्रथम रूपा भगवान

अस कहि अंतःविषय रूप ह्यै।

पलना पर बाल रूप

बनी शिशु रुधिर जब तुम थाना।

लखीम मुख सुखी गौरी समान

सकल मग सुख मंगल गावहिं.

नभ ते सुरन सुमन वर्ष

शम्भुउमा बहुगुणी लुटावं.

सुर मुनि जन सुतलेखन आव॥्ग

लखी अति आनंद मंगल साजा।

देखने वाला भी

निज अवगुण गुनी सन मन माहीं।

बाख देखना चाँत नहीं॥

गिरजा भेद भेद बढ़ाओ।

पर्व मोर न शनि तुमी भायो॥

कहलंग सन मन सकुचाई।

काशीहौ शिशु दृश्यमान॥

नहिं ट्रस्ट उमा करऊ।

शनि बाल देखना कहऊ॥

दुट् अंग्रेजी शनि दृग किरण प्रकाशा।

बाल शिरलाई गयो आकाश॥

गिरजा गिरवी विलिक ह्य धरणी।

सो दुख दशा गयो नहिं वरणी॥

हाहाकार माकू कैलास।

शनि की खाँसी लखी सुत को नाशा

तुरत गरुड़ विष्णु विष्णु सिधाए।

काति चक्र सोंग सिर

बैड के स्ट्रोक धारयो।

प्राण मन्त्र

नाम गणेश शम्भु कींहे।

प्रथम पूज्य बुद्धि धन वर दिने॥

बुद्धि परीक्षा शिव कीन्हा।

पृथ्वी की प्रदक्षिणा लीन्हा

षडान भरमि…

रंची बैठक

चरण मातु-पति के धर लींएं।

तिनके सात प्रदक्षिणा कीं

धनि गणेश कहि शिव हिय हरषे।

नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे॥

तुम्हरी मेमना बड़ाई।

शेष सहसमुख सकैन न गाई॥

मैं मति हीन मल्यंदुष्टारी।

करहुं कौन बिधि विनय

भजत रामसुन्दर प्रभुदास।

लख प्रयाग कटारा दुरवास॥

अब प्रभु दया दीन पर कीजै।

शक्ति अपनी भक्ति कुछ दीजै।

दोहा

श्री गणेश चालीसा पाठ करें।

नित नव मंगल होम बसै लहे जगत सन्मान॥

सम्पादित अपन सहस्र दश ऋषि पंचमी दिनेश।

पूर्वाभास दिव्य सूर्य मंगल गणेश ॥

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