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अमेरिका की पहल पर 22-23 अप्रैल को होगी लीडर्स समिट ऑन क्लाईमेट, सर्वाधिक उत्सर्जन करने वाले 40 देशों के राष्ट्राध्यक्ष लेंगे हिस्सा

by Sneha Shukla

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन दुनिया में सबसे अधिक कार्बन उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार 40 देशों के साथ इसी महीने जलवायु वार्ता करने जा रहे हैं। लेकिन कोरोना संकट के बीच तमाम देश अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए जूझ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि दुनिया को शून्य गतिविधियों के प्रेरित करने की अमेरिका की यह पहल कितनी कारगर होगी।

अमेरिका चढ़ाई के मुद्दे पर बेहद संजीदा है। नए राष्ट्रपति ने पेरिस समझौते में लौटकर ही यह प्रदर्शित किया है। अब उन्होंने 22-23 अप्रैल को लीडर्स समिट्या क्लाईमेट आयोजित की है, जिसमें अधिकांश समझौतों करने वाले 40 देशों के राष्ट्राध्यक्षों को समूह जमावड़ा होगा। इस मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति के विशेष दूत जान कैरी भारत सहित कई देशों की यात्रा भी कर चुके हैं।

माना जा रहा है कि यह बैठक राष्ट्रपति बाइडन के लिए लिटमस टेस्ट होगी कि आखिर अमेरिका जलवायु परिवर्तन पर विश्व को कितन अनिश्चित काल तक पहुँच सकता है। वास्तव में कोरोना संकट से जूझ रहे देशों के समक्ष चुनौती यह है की जो अनुकूलनियों ने परिषद समझौते के तहत की हैं, उसे भी पूरा करने में कठिनाई हो रही है। ऐसे में 2050 तक शून्य कार्बन संरक्षण जैसे बड़े लक्ष्यों की ओर बढ़ना आसान नहीं है। जबकि अमेरिका की कोशिश है कि इस साल नवंबर में ग्लास्गो में होने वाली काप -26 बैठक में भारत सहित तमाम देश शून्य गतिविधियों के लक्ष्यों की घोषणा करें।

बाइडन ने जिन नेताओं को समूह बैठक में बुलाया है, उनमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन जापान के प्रधानमंत्री योशीहीदे सूगा, ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो, इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुलअजीज अल स और ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन शामिल हैं।

क्लाईमेट ट्रेंड्स द्वारा आयोजित बेविनार में यूनियन ऑफ कंसंड साइंटिस्ट्स में क्लाइमेट एंड एनजी प्रोग्राम की पॉलिसी डायरेक्टर रेचल क्लिटस ने कहा कि नेट जीरो का लक्ष्य महत्वपूर्ण है। Usossashyamuel पर निवेश बंद करना होगा। रिन्यूएबल एनर्जी टेक्नोलॉजीज के सहयोग को बढ़ाकर भारत, कनाडा और यूरोप के बीच ग्लोबल क्लाइमेट एंबिशन को बढ़ाने के लिए अनिवार्य अनिवार्य है। यह बाइडन सरकार पर निर्भर करता है कि वह किस तरह से संकल्प को आगे बढ़ाती है।

ओबामा के पूर्व क्लाइमेट एडवाइजर और सेंटर फॉर अमेरिकन प्रोग्रेस के संस्थापक अध्यक्ष जॉन पोडेस्टा ने कहा कि अमेरिकी प्रशासन ने कुछ प्रमुख लक्ष्यों की तरफ ध्यान दिलाया है। वर्ष 2050 तक शुद्ध जीरो अर्थव्यवस्था, वर्ष 2035 तक ऊर्जा क्षेत्र को 100 प्रतिशत प्रदूषण मुक्त बनाना और इस रूपांतरण को न्याय संगत तरीकों से नियंत्रित करना, आदि। लेकिन बाइडन सरकार को अपनी आर्थिक और कूटनीतिक रणनीति में जलवायु मुद्दे को भी शामिल करना होगा।

डब्ल्यूआरआई इंडिया की क्लाइमेट प्रोग्राम डायरेक्टर उल्का केलकर के अनुसार बाइडन प्रशासन से हमें वैसी ही उम्मीदें हैं जैसे ओबामा सरकार से हुआ था। हालांकि हरित कोष में 1.2 अरब डॉलर देने की घोषणा की उम्मीद नहीं है। फिर भी अमेरिकी प्रशासन से उम्मीद जगी है। कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया चीन ने भी सकारात्मक संकेत दिए हैं। भारत ने भी जलवायु के अनुकूल अर्थव्यवस्था बनाने के लिए कदम उठाए हैं।

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