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अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक ऐसा विधेयक पारित किया है, जिसने अमेरिका में 5 लाख से अधिक भारतीयों के नागरिकता के मार्ग को प्रशस्त कर दिया है। अमेरिकी संसद के निचले सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने जो बिल पास किया है, उसके मुताबिक बचपन से अवैध रूप से अमेरिका में रहने वाले प्रवासी लोगों के लिए नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा। अमेरिकन ड्रीम एंड प्रोमिस एक्ट के नाम से पारित इस विधेयक से अमेरिका में 5 लाख से अधिक भारतीयों के सपने पूरे होंगे।
हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने गुरुवार को अमेरिकन ड्रीम एंड प्रॉमिस एक्ट को 228-197 मतों के अंतर से पारित कर दिया और उसे सीनेट के विचार के लिए भेज दिया गया है। यह बिल से ऐसे लोगों के लिए भी नागरिकता हासिल करना आसान हो जाएगा, जिन्हें कानूनी निगरानी में रहना होता है और उन्हें अपने देश भेजने की बात भी चलती रहती है। माना जा रहा है कि अब इस कानून से 5 लाख से अधिक भारतीयों सहित लगभग एक करोड़ 10 लाख ऐसे अप्रवासियों को अमेरिका की नागरिकता मिल जाएगी, जिनके पास दस्तावेज नहीं हैं।
अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने बिल का समर्थन करते हुए कहा है कि वह चाहते हैं कि कांग्रेस इस बिल को पारित कर दे जिससे लगभग 1.1 करोड़ प्रवासियों को देश की नागरिकता मिलने का रास्ता साफ हो जाएगा। इसे अमेरिका के आव्रजन सुधार की दिशा में बड़ा कदम बताया जा रहा है। द प्रिंस, अमेरिका में कानूनी दिशा के बिना बने रहने के कारण लोगों की संख्या 1 करोड़ 10 लाख है और इस नए कानून के प्रभाव में आने से इनकी नागरिकता को अमली जामा पहनाया जा सकता है। इस कानून से सीधे तौर पर भारत के लगभग 5 लाख लोगों को फायदा होगा।
जो बाइडन ने कहा कि मैं इस विधेयक का समर्थन करता हूं और इस महत्वपूर्ण कानून को पारित करने के लिए प्रतिनिधित्व करने की सराहना करता हूं। उन्होंने कहा कि यह अस्थायी संरक्षित स्थिति (टीपीएस) धारकों और यहां रहने के सपने देखने वालों (प्रवासियों) और बचपन में ही अमेरिका आए युवाओं को बहुत जरूरी राहत प्रदान करेगा।
बता दें कि यहां ड्रीमर्स मूल रूप से अप्रत्यक्ष अप्रवासी हैं, जो माता-पिता के साथ बच्चों के रूप में अमेरिका आए थे। पिछले नवंबर में बिडेन अभियान द्वारा जारी किए गए एक नीति दस्तावेज के अनुसार, लगभग 11 मिलियन अनिश्चितकालीन अप्रवासी हैं, जिनमें भारत से 500,000 से अधिक शामिल हैं। इस बिल को अब सीनेट में पेश किया जाएगा, जहां पास किए जाने के बाद जो बाइडेन के हस्ताक्षर करने के बाद यह कानून की शपथ लेगा।
बाइडन से गैर-आव्रजक वीजा पर प्रतिबंध हटाने की मांग
पांच डेमोक्रेट चेस्टरों ने राष्ट्रपति जो बाइडन से उनके पूर्ववर्ती डोनाल्ड ट्रंप द्वारा कुछ गैर-आव्रजक वीजा पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने की मांग की है। इनमें एच -1 बी वीजा भी शामिल है, जो भारतीय आईटी पेशेवरों में काफी लोकप्रिय है। अमेरिकी चेटरों का कहना है कि इस प्रतिबंध की वजह से अमेरिकी नियोक्ताओं, उनके विदेश में जन्मे पेशेवर कर्मचारियों और उनके परिजनों के लिए काफी अनिश्चय की स्थिति पैदा हो गई है।
जून, 2020 में ट्रम्प ने घोषणा -10052 के जरिये एच -1 बी, एल -1, एच -2 बी और जे -1 वीजा की प्रक्रिया को रोक दिया था। श्रम बाजार में इन वीजा के कथित जोखिमों के मद्देनजर ट्रंप ने यह कदम उठाया था। हालाँकि, यह प्रावधान 31 मार्च, 2021 को समाप्त हो रहा है, लेकिन कंपनियों का कहना है कि यदि इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो उनका व्यवसाय और अर्थव्यवस्था का पुनरुद्धार प्रभावित हो सकता है।
इन चेटरों ने कहा कि रिपोर्ट से पता चलता है कि सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में एच -1 बी वीजाधारकों के पद अभी तक खाली हैं या उन्हें विदेशी एयरलाइंस में स्थानांतरित कर दिया गया है। एच -1 बी वीजा एक गैर-आव्रजक वीजा है जिसकी जरिये अमेरिकी कंपनियों को विशेषज्ञता वाले पदों पर विदेशी कर्मचारियों की नियुक्ति करने की अनुमति होती है।
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