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अमेरिकी रक्षा मंत्री से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा- 'सामरिक साझेदारी के लिए भारत-यूएस प्रतिबद्ध'

अमेरिकी रक्षा मंत्री से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने कहा- ‘सामरिक साझेदारी के लिए भारत-यूएस प्रतिबद्ध’

by Sneha Shukla

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तीन दिवसीय दौरे पर पहली बार भारत आए अमेरिका के नए रक्षा मंत्री लीलोन ऑस्टिन ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के साथ मुलाकात की। अमेरिकी रक्षामंत्री से मिलने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट करते हुए कहा कि उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को शुभकामनाएं दीं। पीएम मोदी ट्वीट करते हुए कहा- “अमेरिकी रक्षा मंत्री लीलोन ऑस्टिन से मुलाकात कर अच्छा लगा। रतनट्रती जो बाइडेन को अपनी ओर से शुभकामनाएं दीं। भारत और अमेरिका हमारी रणनीतिक साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध है जो वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत है।]

अमेरिकी रक्षा मंत्री इस बात पर जोर देते हुए कहा- दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने वाली अमेरिकी सरकार लगातार प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और सुरक्षा के लिए अमेरिकी रणनीतिक साझेदारी बढ़ाने को उत्सुक है।

अमेरिकी रक्षा मंत्री के उनके आने का उद्देश्य हिंद-प्रशांत सहित क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य आक्रामकता के मद्देनजर द्विपक्षीय रक्षा और सुरक्षा संबंधों को और मजबूत करना है। ऑस्टिन की पहली विदेश यात्रा के दौरान तीन देशों के दौरे में भारत तीसरा पड़ाव स्थल है। उनकी इस यात्रा को (अमेरिकी राष्ट्रपति) जो बाइडन प्रशासन के अपने कर्बी सहयोगियों और क्षेत्र में साझेदारों के साथ मजबूत प्रविष्टि के तौर पर देखा जा रहा है।

समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ऑस्टिन की पालम हवाईअड्डे पर भारत के वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और अमेरिकी दूतावास के राजनयिकों ने अगवानी की। उनकी यात्रा की तैयारियों और एजेंडा की जानकारी रखने वाले लोगों ने बताया कि दोनों पक्षों के बीच बातचीत में भारत-अमेरिका संबंध को और प्रगाढ़ करने के तरीके, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सहयोग बढ़ाने, पूर्वी लद्दाख में चीन के आक्रामक व्यवहार, आतंकवाद – पैदा हुए हुई चुनौतियों और अफगान शांति वार्ता पर जोर रहने की उम्मीद है।

उन्होंने बताया कि तीन अरब डॉलर से अधिक (अनुमानित) की लागत से अमेरिका से लगभग 30 ‘मल्टी-मिशन’ सशस्त्र प्रीडेटर ड्रोन खरीदने की भारत की योजना पर भी चर्चा होने की उम्मीद है। ये ड्रोन सेना के तीनों भागों (थल सेना, वायु सेना और नौ सेना) के लिए खरीदने की योजना है। मध्य ऊंचाई पर लंबी दूरी तक उड़ान भरने में सक्षम इस ड्रोन का निर्माण अमेरिकी रक्षा कंपनी जनरल एटोमिक्स करती है। यह ड्रोन लगभग 35 घंटे तक हवा में रहने में सक्षम है और जमीन और समुद्र में अपने लक्ष्य को अलग कर सकता है।

बताया जाता है कि लगभग 18 अरब डॉलर की लागत से 114 लड़ाकू विमान खरीदने की भारत की योजना पर भी बातचीत होने की संभावना है। दरअसल, अमेरिकी रक्षा साजो सामान निर्माण कंपनियों बोइंग और लॉकहीड मार्टिन की इस समझौते पर नजरें हैं।

ऑस्टिन की यात्रा से पहले विदेश मामलों पर सीनेट की प्रतिद्वंद्वी कमेटी के अध्यक्ष और सीनेटर रॉबर्ट मेंनेंडेज ने अमेरिकी रक्षा मंत्री को एक पत्र लिख कर उन्हें भारतीय नेताओं के समक्ष एस -400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद का मुद्दा भी उठाने का अनुरोध किया था। भारत इसे रूस से खरीद रहा है और इसके लिए अक्टूबर 2018 में रूस के साथ पांच अरब डॉलर का एक सौदा किया गया था। भारत ट्रम्प प्रशासन की चेतावनी की अनदेखी करते हुए इस समझौते पर आगे बढ़ा था। तत्कालीन अमेरिकी प्रशासन ने चेतावनी दी थी कि इस पर आगे बढ़ने पर उसे अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका ने एस -400 मिसाइल रूस से खरीदने को लेकर हाल ही में तुर्की पर प्रतिबंध लगाए हैं।

ये भी पढ़ें: बाइडन सरकार में पहली बातचीत के बाद बोला चीन-अमेरिकी राजनयिकों के साथ वार्ता से आ रही गैजेट की बू



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