हिंदी सिनेमा के सुपरस्टार राजेंद्र कुमार (राजेंद्र कुमार) के साथ एक खिताब जुड़ गया था। 60 के दशक में राजेंद्र की कई फिल्मों ने सिनेमाघरों में सिल्वर जुबली बनाई। वो जितने बड़े स्टार थे उतने ही अच्छे इंसान भी थे। दरअसल, मनोज कुमार (मनोज कुमार) अपने स्ट्रगल के दिनों में राजेंद्र कुमार (राजेंद्र कुमार) के बेहद करीब थे। इतना ही नहीं वे राजेंद्र कुमार को अपना बड़ा भाई मानते थे।
जब मनोज कुमार को उनकी पहली बड़ी फिल्म मिली जिसका नाम था ‘पिया मिलन की आस’ (पिया मिलन की आस) और उसके लिए उन्हें 1 हजार रुपये एडवांस दिए गए तो, मनोज कुमार उन 1 हजार रुपयों को लेकर प्रसादेश्वर के कार्यालय से सीधे राजेंद्र कुमार के पास पहुंचे। मनोज को पता था कि राजेंद्र कुमार कहां शूटिंग कर रहे थे, और राजेंद्र कुमार के पास पहुंच कर मनोज ने रुपए उनके पैरों में रख दिए।
राजेंद्र कुमार ने ये देखकर मनोज कुमार को गले से लगा लिया और उन हजार रुपयों को अपनी तरफ से 100 रुपये और मिला दिया। वो रुपये राजेंद्र कुमार ने मनोज कुमार को देते हुए कहा, ‘अब हो गए येवेन सौ रुपये, बहुत शुभ होते हैं।’ राजेंद्र कुमार उस दिन इतने खुश हुए जैसे मनोज को नहीं बल्कि उन्हें पहली फिल्म मिली। इतना ही नहीं, राजेंद्र कुमार उस दिन फिल्म के सेट पर थे। उन्होंने मनोज कुमार को अपनी पहली फिल्म मिलने की खुशी में राजेंद्र कुमार ने पूरे सेट पर मिठाई बंटवाई थी। इतना बड़ा राजेंद्र कुमार का दिल था।
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