सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एंटीसेप्टिक थ्रोट स्प्रे व मलेरिया-अर्थराइटिस के इलाज में काम में आने वाली गोलियां कोरोना के संक्रमण की रोकथाम में कारगर साबित हो सकती हैं। सिंगापुर के शोधकर्ताओं की रिपोर्ट के अनुसार सिंगापुर के शोधकर्ताओं ने इसे 3000 से ज्यादा माइग्रेंड वर्कर्स पर क्लिनिकल ट्रायल किया।
3000 से ज्यादा लोगों ने 6 सप्ताह तक ट्रायल किया
6 सप्ताह तक किए गए इस ट्रायल में वर्कर्स को povidone-iodine थ्रोट स्प्रे दिया गया। इसके अलावा डॉ की सलाह के अनुसार उन्हें ओरल हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दिया गया है। शोधकर्ताओं ने यह दोनों को कोरोनावायरस का संक्रमण कम करने में प्रभावी पाया।
मेडिकल जर्नल में शामिल किए गए रिसर्च के नतीजे
इस शोध के प्रमुख और नेशनल यूनीवर्सिटी हॉस्पिटल के एसोसिएट प्रोफेसर, रेमंड सीट नेशनल यूनिवर्सिटी हेल्थ सिस्टम में अपने शोध के संबंध में प्रेजेंटेशन दे रहे थे। उनके साथ सह-जांचकर्ता प्रोफेसर पॉल टमबाह, एसोसिएट प्रोफेसर मिकेल हार्टमैन, एसोसिएट प्रोफेसर एलेक्स कुक और सहायक प्रोफेसर एमी क्यूक मौजूद थे। इस शोध के नतीजे मेडिकल जर्नल इंटरनेशनल जर्नल ऑफ इंफेक्शियस डिजीज में प्रकाशित किए गए हैं। इससे संबंधित ट्रायल में 3,037 लोगों को उनकी अनुमति से शामिल किया गया था।
आसानी से उपलब्ध दोनों दवाओं में है
यह पहला अध्ययन है, जिसमें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन या पोविडोन-आयोडीन गले के स्प्रे का क्वारंटीन में रहने वाले लोगों के बीच संक्रमण से लड़ने में फायदेमंद पाया गया है। डॉ रेमंड सीट के मुताबिक इन दोनों दवाइयों को इसलिए चुना गया था, क्योंकि ये आसानी से मिल जाते हैं। ये दोनों दवाओं के गले को संक्रमण से बचानेती हैं, जो वायरस के शरीर में प्रवेश करने का तरीका है। ट्रायल के पहले बुखार, खांसी की बीमारी को दूर करने जैसी बीमारियों के लक्षण दिखाई देने वाले डेटाबेस को शामिल नहीं किया गया। इसके अलावा जिन लोगों को पहले से ही कोरोना संक्रमण था, उन्हें ट्रायल में शामिल नहीं किया गया था।
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