ऑक्सीजन की कमी के कारण पूरे देश में हाहकार मचा हुआ है। लाखों कोरोनाटे मरीजों की जिंदगी की डोर ऑक्सीजन पर टिकी हुई है। ऑक्सीजन की बढ़ी मांग को पूरा करने वाली सरकारों के लिए असंभव सा दिखाई दे रहा है। ऐसे में बढ़ते ऑक्सीजन संकट के बीच भोपाल के लोग जिंदगियों के बचाने के लिए ‘जुगाड़’ का सहारा लेते दिखाई दे रहे हैं। भोपाल में कोरोना के कुल सक्रिय प्रकरणों में से आधे से ज्यादा मरीजों का घरों में आइसोलेशन में इलाज किया जा रहा है। इनमें से कई रोगियों को ऑक्सीजन की आवश्यकता है, लेकिन इतना अधिक तादाद में ऑक्सीजन सिलेंडरों की उपलब्धता एक बड़ी समस्या है। ऐसे भी भोपाल के लोगों ने कम से कम सिलेंडरों की उपलब्धता की समस्या का निदान ‘देसी जुगाड़’ से ढूंढ लिया है।
व्यावसायिक सिलेंडर का मेडिकल ऑक्सीजन के लिए उपयोग किया जाता है
शहर में संलग्न मैकेनिकों, वेल्डरों, आइस फैक्ट्रियों सहित दूसरे लघु उद्योगों में इस्तेमाल होने वाले सिलेंडरों में आवश्यक व बुनियादी चिकित्सा उपकरण लगाकर इन सिलेंडरों का इस्तेमाल करने वाले मरीजों के लिए किया जा रहा है। अब तक अपने व्यावसायिक कार्यों के लिए इस प्रकार के सिलेंडर का उपयोग करने वाले लोग खुशी-खुशी अपने सिलेंडर को अलग मरीजों के लिए दे रहे हैं। ये सिलेंडरों की रिफिलिंग कर रहे हैं।
सिलेंडरों की रिफिलिंग करना बड़ी चुनौती है
यलाकि इन सिलेंडरों में रिफिल करवाना भी अपने आप में एक बड़ी चुनौती है। इसके लिए लोगों को घंटों कतारों में खड़ा रहना पड़ रहा है। हालांकि, ऐसी स्थिति में सिलेंडरों की मांग कई गुना बढ़ गई है। शहर के गोविंदपुरा और मंडीदीप के इंडस्ट्रियल इलाके में इस प्रकार के सिलेंडर बेचे वारे पर भी दिए जा रहे हैं। इन सिलेंडरों की कीमत इनकी क्षमता और साइज के हिसाब से तय हो रही है।
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