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ऑक्सीजन संकट पर  DST सचिव डॉ. आशुतोष शर्मा बोले- भारत अगले दो माह में होगा ऑक्सीजन उपकरणों में आत्मनिर्भर   

ऑक्सीजन संकट पर DST सचिव डॉ. आशुतोष शर्मा बोले- भारत अगले दो माह में होगा ऑक्सीजन उपकरणों में आत्मनिर्भर   

by Sneha Shukla

देश में कोरोनावायरस की दूसरी लहर का सामना कर रहा है। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कई राज्यों को ऑक्सीजन की कमी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में ऑक्सीजन उपकरणों में भारत की आत्मनिर्भरता का प्लान क्या है? किस तरह ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर जैसा सस्ता उपकरण बचा सकता है क्यूई जान, चैट हो सकती है अस्पतालों पर बढ़ रहा बोझ … इन तमाम सवालों पर एबीपी न्यूज ने बात की भारत सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव डॉ। आशुतोष शर्मा से। प्रस्तुत

प्रश्न: कोरोना महामारी के 17 महीने बाद भी अगर भारत ऑक्सीजन उपकरणों जैसी मूलभूत चीजों के लिए जूझता नजर आती है तो क्या यह स्वास्थ्य व्यवस्था प्रबंधन पर गंभीर सवाल नहीं उठा? कैथल फेल हम?

उत्तर: यह मुनासिब विफल रहा है। प्रेग्नेंट होने के बाद वे अहमदाबाद में मौसम के दौरान व्यस्त रहे थें ️️️️️️️️️️️️️️ है I ऑक्सी उत्पादन उत्पादन मौसम के लिए उपयुक्त मौसम के हिसाब से उपयुक्त हैं। दूर दूर तक सवाल। सो, उस समय जिन चीजों की अधिक जरूरत महसूस हुई, उन पर ध्यान केंद्रित किया गया। तीन तीन

इस लहर में पहली बार ऐसा लगा कि हमारी ऑक्सीजन की जरूरत पूरी नहीं हुई। लिहाजा इस कमी को पूरा करने के लिए उतनी ही तेजी से प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में प्रयास किया जा रहा है कि ऑक्सीजन कंसंट्रेटर स्कैन से अधिक संख्या में भारत में ही तैयार किया जाए, लेकिन जब संकट होता है तो हमें याद रखना भी पड़ता है। इस बात की तैयारी हम कर रहे हैं।

इसीलिए, हमने दोहरी रणनीति पर काम किया जिसमें पहले किए गए थे जिसके माध्यम से तात्कालिक कमी को पूरा करने की कोशिशें हुईं। ️ बीच️ बीच️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️

प्रश्न: भारत में संचार और आँकड़े क्या हैं? ऑक्सीजन️ ऑक्सीजन️ ऑक्सीजन️ ऑक्सीजन️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ करने के लिए

उत्तर: ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिए बहुत तेजी से प्रयास हुए हैं। मैं आपको बता सकता हूं कि पहली लहर के दौरान हमारा प्रतिदिन ऑक्सीजन उत्पादन लगभग 3000 मीट्रिक टन था। य़ूम में उत्पादन मीट्रिक यानी यह बहुत तेजी से बड़ा है। ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर भी देश में बहुत तेजी से विकसित किए जा रहे हैं।

भारत के कई स्टार्टअप कंपनियों केएमएमईकिंगों वैज्ञानिक प्रयोगशालाओं के प्रयास में शामिल है। एक तरह से काम कर रहे हैं हमारे पास इनको तैयार करने के तरीके हैं। समस्या आरोग्य विज्ञान में। यानी ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में इस्तेमाल होने वाले कई कलपुर्जे वह इससे विदेशों से आयात किए जाते हैं। अब भी भारत में ही तैयार किया जा रहा है।

यह बात को अगर मैं एक उदाहरण से समझा जाता हूं तो ऑक्सीजन कंसट्र्रेटर में एक ऑयल लेफ्ट मशीनिंग होता है, तो यह बहुत ज्यादा आवाज करता है। न्यू सो कुछ से कुछ चीजें भारत में बनती भी थीं। लेकिन कभी सोचा ही नहीं था कि इतने प्रभावित पैमाने पर इनकी ज़रूरत पड़ेगी। अपताल से लौटने के बाद आज कई लोगों को घर पर भी ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की ज़रूरत लग रही है। यह सक्षम हो सकता है। में हमारा अनुमान है कि आने वाले समय में दो लाख कं का परिवर्तन होगा।

इस खेल को पूरा करने के लिए निम्न प्रयास करें I पहला यह कि हमने एक कंबलियम बनाया है जिसमें कई आईआईटी की प्रयोगशाला आए हैं कई उद्यमी स्टार्टअप संस्थान हैं और विदेशों में मौजूद भारतीय इंजीनियर भी इसमें योगदान दे रहे हैं। व्यापक उत्पादन की तकनीकी समस्याओं को सुलझाने में यह नेटवर्क प्रभावी साबित होगा। इसके अलावा हम उत्पादन के लिए फंडिंग भी दे रहे हैं।

यदि मैं एक उदाहरण दूं तो ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर में वियतनामी जिओलाइट इस्तेमाल होता है। भारत में अधिक के विकल्प के तौर पर हमें ऐसी चीज़ की ज़रूरत है जो भारत में आसानी से और बहुतायत में मिल सके। किया किया उसे रिपरपज किया गया है। यह सम्भवतः दुनिया में पहली बार होगा कि केल्शियम य्या सोडियम ज़ियोलाइट के इस्तेमाल से ऑक्सीजन कन्संट्रेटर बनाने की पहल होगी। यह एक किस्म से जुगाड़ है। हालांकि यह खराब जुगाड़ नहीं है लेकिन कुशल जुगाड़ है।

️️ आगामी️ आगामी️️ यह भी हमारा प्रयास है कि 60-65% से अधिक भारतीय साज़ों का त्रुटिपूर्ण उपयोग करें शेष बचे ३५ ४०% सामान का आयात होता है। इस सौदे में कोई कठिनाई न हो इसके लिए हम विदेशों में मौजूद भारतीय दूतावासों के साथ भी सक्रिय संघ पर संपर्क में है। संपर्क सहायक संस्था के संपर्क में आने से संपर्क में आने में मदद मिलती है।

प्रश्न: क्या आप कह सकते हैं कि भारत के कीटाणुओं के आक्रमण के लिए सक्षम हों और मजबूत होने के लिए सक्षम हों।

उत्तर: इस बात में कोई संदेह नहीं है कि अगले कुछ महीनों के भीतर हम पूरी तरह आत्मनिर्भर होंगे। कई इनोवेटिव डिज़ाइन भी ऐसे आएंगे जो कि दुनिया भर में मौजूद मॉडल्स के मुकाबले बेहतर होंगे। भारतीय वैज्ञानिकों की क्षमता और कौशल का लोहा दुनिया मानती है। इसलिए अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए केवल मौजूदा मॉडल की कॉपी नहीं बल्कि नए और बेहतर मॉडल देने की स्थिति में हैं।

वेव वेव है है है है। माना की पहली और दूसरी वेब के बीच बड़ा अंतर यह है कि किसकी बात हमें समय ज्यादा मिली थी। इस बार-युद्ध स्तर पर प्रयास करें। भारत का रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ डेढ़ लाख ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर का आर्डर सप्लाई करने जा रहा है।

प्रश्न: आपका इराक़ में टाइप करने के लिए उपयोगकर्ता डायल कर रहे हैं। ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ आपने उनसे क्या संपर्क किया या उन्होंने कहा। किस तरह से आगे बढ़ना है?

उतराईः बीजी तालु अलाउंस से बजती है। दोनों ही चीजों के साथ हमने भी संपर्क किया और उन्होंने रिचार्ज भी किया। विदेशों में होने के कारण संपर्क को सहयोग की कुछ सीमाओंएं होती हैं लेकिन परिवर्तन साझा करने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका है। स्पेशल डिस्पले डिल्डेलने में.

हाल ही में हम एक बैठक कर रहे थे जिसमें स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में मौजूद प्रोफेसर मनु प्रकाश भी शामिल थे। वे बहुत से इनोवेशन किए हैं और उनके बहुत अच्छे आइडियाज हैं। उदाहरण के लिए ऑक्सीजन बरबलेंगे होंगे होगा होंगे । जैसे कि मरीज है. लेकिन जब साथ छोड़ता है तब उस दौरान भी सप्लाई हो रही ऑक्सीजन का एक हिस्सा बर्बाद हो जाता है। इस मदी को रोकने के समाधान हैं कि यदि हम एक छोटा सा वाल्व लगा दें जो बाहर जाता है श्वास के समय ऑक्सीजन सप्लाई को बंद कर दे तो इस वेस्टेज को रोका जा सकता है।

महज़ इस छोटे से बदलाव से 30% ऑक्सीजन को लगभग बचाया जा सकता है। अब या फिर आप ऑक्सीजन का 30% उत्पादन बढ़ा लें या उसकी खपत कम कर लें। बात एक ही है। इस उपकरण को तैयार करने के लिए हमने सीएसआईआर की एक प्रयोगशाला को दिया है जो 1 सप्ताह के भीतर इसे बना लेगी। तो हम बड़ी तेजी से काम कर रहे हैं क्योंकि इस समस्या का समाधान तेजी से तलाश करना चाहिए क्योंकि यह प्राथमिकता है।ऑक्सीजन उपकरणों की कमी दूर करने से हम उन लोगों की जरूरत पूरी कर पाएंगे जो घर पर रहकर उपचार कर सकते हैं।

प्रश्न: आपके अनुमान में ऑक्सीज़न उपकरणों की यह उपलब्धता भारत के अस्पतालों पर अत्यधिक कम करने और क्रिटिकल कैर सुविधाओं की उपलब्धता को किस तरह से बढ़ाएगी?

उत्तर: काफी राहत मिलेगी। 90 लोग वहीं 10-15 ऐसे हो सकते हैं जिनको अस्पताल जाने की ज़रूरत पड़े। अक्सर कुछ लोग डरकर भी अस्पताल पहुंच कर भर्ती हो जाते हैं। व्यवसाय पर कार्य का पारिवारिक विकास। इस बार इस तरह के लोगों को मिलें अद्भुत अद्भुत चीजें हैं।

हमारा यही मानना ​​है कि जो चीज़ का घर पर रहकर सक्रिय हो सकता है वह सबसे अच्छा है। इसलिए लोगों को अगर ऑक्सीजन उपकरण जैसी जरूरत घर पर मिल जाए तो यह सबसे अच्छा होगा। अब हमारे पास जो वेंटिलेटर के डिजाइन हैं उनमें से क्यूई घर पर इस्तेमाल हो सकते हैं।

प्रश्न: भारत में बनने वाले ऑक्सीजन कन्सेंट्रेटर कितने सस्ते होंगे और क्या आम लोग इनका इस्तेमाल करेंगे? साथ ही गांवों में इस समय कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं तो क्या तब तक जब तक कि बड़े पैमाने पर पहुंचाना संभव नहीं होगा?

उत्तर: प्‍यार कन्‍टर की कीमत कम है और अधिक रिटायती जैसे जैसे जैसे प्‍यार. यह अच्छी तरह से ठीक है। उन्होंने बताया कि पहले 5 हज़ार शांति वो इसी महीने में सप्लाय करने वाले हैं, इसलिए जिस उपकरण को इस टीम ने तैयार किया है, वह 10 लीटर प्रति मिनट की रफ्तार से 80 प्रतिशत तक शुद्ध ऑक्सीज़न दे संभवगा। खराब तापमान तक ग्राहक को 65 बजे तक। 5 लीटर क्षमता वाले उपकरण की कीमत लगभग 40 हज़ार तक आ सकती है।

आपने गाँवों का ज़िक्र किया, तो इन ज़रूरतों के बीच पर ऑक्सीज़न कन्सेंट्रेटर उपलब्ध कराने का मॉडल भी विकसित हो सकता है। जीवन भर के लिए ऐसी किताबें नहीं होंगी। लागू करने के लिए शुल्क भी लगाया गया है, तो यह मामला दर्ज किया गया है।

प्रश्न: आपने ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की किल्लत दूर करने का प्लान बताया। मगर मेडिकल । दुनिया के कई देशों ने बच्चों के टीकाकरण का प्लान शुरू किया है जैसे में भारत में यह स्थिति कब तक आ जाएगी?

उत्तर: इस कमी को पूरा करने के लिए वह सभी कदम उठाए जा रहे हैं जो जरूरी है। प्रेक्षक के रूप में अच्छी तरह से बदलते हैं. हम बना तो और भी सकते हैं लेकिन कच्चे माल की भी जरूरत है जिक एक हिस्सा विदेशों से आता है। फॉलो करने के लिए सही क्रम में हों। विदेशों में मौजूद अन्य टीएसी के लाइसेंस उत्पादन के प्रयास तेजी से चल रहे हैं। इस दिशा में बौद्धिक संपदा कानून में रियायत के भी प्रयास आगे बढ़े हैं। भयानक दुनिया में टीकों का हम भारत में… क्‍स्‍ट्राक्‍स के संपर्क में आने से हेल्‍प ठीक होता है।

भारतीय टीके कोविक्सीन के व्यापक लाइसेंस उत्पादन की शुरुआत भी हो रही है। अलाइन भारत 10 टीके विकास के विकास में। ट्रायल चल️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ प्रधानमंत्री हमेशा यह कहते रहे हैं कि इस बीमारी के नियंत्रण के लिए योजना पर काम करना होगा। इसलिए जब पहली वेव के जब हम तात्कालिक तौर पर वेंटिलेटर जैसी ज़रूरतों पर काम कर रहे थे तब ही वैक्सीन पर भी काम शुरू हो गया था।

दुनिया के इतिहास में यह पहला ऐसा मौका है जब इतने कम समय में किसी बीमारी का टीका तैयार हो गया है। उम्मीद है कि उच्च गुणवत्ता वाला उत्पाद उच्च गुणवत्ता वाला कनेक्ट होगा और हम आपकी उच्च गुणवत्ता वाले हैं, तो हम जोखिम कर सकते हैं जैसे कि उच्च गुणवत्ता वाले कनेक्ट कर सकते हैं। ️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️️ है है है है है है है है है उपलब्धता है है उपलब्धता है उपलब्धता पर इतनी तेज गति से हम हैं ️️️️️️️️️️️️️️️️

यह भी आगे
कोरोना वायरस इंडिया: संचार संचार के लिए संचार खतरनाक हैं, वे खतरनाक हैं जैसे कि वे खतरनाक होते हैं।.

दिल्ली में अपडेट होने के बाद भी, सीएम ने बिस्तर में बिस्तर तय किया था, जैसा कि मैंने बिस्तर में तय किया था

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