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ऑपरेशन समुद्र-सेतु: भारतीय नौसेना का विदेश से लिक्विड ऑक्सीजन के कंटनेर लाने का काम जोरों पर, फ्लीट कमांडर से abp की खास बातचीत

ऑपरेशन समुद्र-सेतु: भारतीय नौसेना का विदेश से लिक्विड ऑक्सीजन के कंटनेर लाने का काम जोरों पर, फ्लीट कमांडर से abp की खास बातचीत

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> कोरोना काल में ऑपरेशन समुद्र-सेतु के तहत विदेशों से लिक्विड ऑक्सजीन के कंटनेर और सिलेंडर सहित ऑक्साजीन कंस्नट्रेटर लाने में नौसेना जुटी है। नौसेना की पश्चिमी कमान के फ्लीटैंडर रियर एडमिरल अजय कोच्चर से एबीपी न्यूज ने खास बातचीत की-

अजय कोच्चर के नेतृत्व में सोमवार को ही नौसेना का आईंट्स कोलिटी युद्धपोत कतर और कुवैत से लिक्विड ऑक्सीजन के बारे में मंगलौर बंदरगाह पहुंच गया है। जिस वक्त आईन्ट्स कॉलिटी को कतर और कुवैत से ऑक्सजीन से भरे कंटनर लाने का आदेश मिला कि जल्द ही ये युद्धपोत फ्रांस की नौसेना के साथ अरब सागर में युद्धभ्यास कर रहा था। लेकिन आदेश मिलते ही आईन्ट्स कॉलिटी ने टर्न-एराउंड किया और मानवीय सहायता में जुट गए।

="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु लॉन्च किया था

आपको बता दें कि 30 अप्रैल को भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु लॉन्च किया था। इस ऑपरेशन के तहत नौसेना के कुल नौ (09) युद्धपोतों को मित्र-देशों से लिक्विड ऑक्सजीन से लेकर खाली क्रायोजेनिक ऑक्साजीन टैंक, सिलेंडर और दूसरे मेडिकल उपकरण लाए जा रहे हैं। अब तक चार युद्धपोत भारत आ चुके हैं।

रियर एडिमरल अजय कोच्चर के मुताबिक सोमवार को समुद्र-सेतु के तहत तीन युद्धपोत कतर, कुवैत और सिंगापुर से 04 भरे हुए लिक्विड ऑक्सीजन कंटनेर (कुल क्षमता 27 मैट्रिक टन), आठ खाली ऑक्सीजन कंटनेर (क्षमता 20 एमटी), 900 भरे हुए ऑक्सीजन सिलेंडर, 3150 खाली सिलेंडर और 10 हजार रेपिड एंटीजन टेस्टिंग किट सहित काफी मात्रा में दूसरे मेडिकल उपकरण के साथ भारत के अलग-अलग बंदरगाह पहुंचें।

सोमवार को कतर और कुवत"पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> जिस आइसेस कोटिलिटी युद्धपोत का नेतृत्व अजय कोच्चर ने किया था उसने सोमवार को कतर और कुवैत से दो 27 एमटी के भरे हुए ऑक्सीजन कंटनर, 400 ऑक्साजीन सिंलेन्डर, 47 ऑक्साजीन कन्नासट्रैबैस मंग मंगौर पहुंच गया है

रियर एडमिरल के मुताबिक, नौसेना का मुख्य चार्टर वैसे तो समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और हिंद महासागर में किसी भी चुनौती का सामना करना है, लेकिन इस चार्टर में मानवीय सहायता भी शामिल है। यही कारण है कि जैसे ही देश को ऑक्सजीन की जरूरत हुई, नौसेना के युद्धपोतों को मित्र-देशों से ऑक्सजीन इत्यादि लाने के लिए मोड़ दिया गया।

शांति-काल में नौसेना का मुख्य-चार्टर मिलिट्री-डिप्लोमेसी है <शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> एबीपी न्यूज से बातचीत में रियर एडमिरल ने बताया कि शांति-काल में भी नौसेना का मुख्य-चार्टर मिलिट्री-डिप्लोमेसी है। इसका फायदा ऐसी मुश्किल के समय में आता है जब नौसेना के युद्धपोत मदद के लिए मित्र-देशों के मनोरंजन पर जाते हैं।

इस सवाल पर कि जब पूर्वी लद्दाख से सटी एलएसी पर चीन से तनातनी चल रही है तो ऐसे में क्या नौसेना के युद्धपोतों का प्रचारेशन्ल-वितरणय हटा देंकर ह्यमूनेटेरियन-अस्सिटेंस में लगाने से समुद्री सीमाओं की सुरक्षा पर तो असर नहीं पड़ेगा। पश्चिमी कमान के बेड़े के प्रमुख ने कहा कि जितनी तेजी से नौसेना सैन्य-रूप से मानवीय सहायता में जुट जाती है, उतनी ही तेजी से मिलिट्री-रूप में वापस भी आ सकती है।

सिंगापुर से टकरा-प्रदेश के विशाखापट्टनम पोर्ट पर आठ खाली क्रेयोजेनिक ऑक्सीजन कंटनेर सहित पहुंचा

रियर एडमिरल ने ये भी बताया कि आईआईएस ऐरावत युद्धपोत भी सोमवार की सुबह सिंगापुर से अंग्रा-प्रदेश के विशाखापट्टनम पोर्ट पर आठ खाली क्रेयोजेनिक ऑक्सीजन कंटनेर, 3150 खाली सिलेंडर, 500 भरे सिलेंडर, सिलेंडर और 10 हजार रेपिड एंटीजन टेस्टिंग किट सहित पहुंच गया है।

सूत्रों के मुताबिक त्रिखंड भी फ्रांस की मदद से कतर से दो 27 मैट्रिक टन (एमटी) के भरे हुए ऑक्सीजन कंटनेर के साथ मुंबई पहुंच गया है। रियर एडमिरल ने एबीपी न्यूज के माध्यम से देशवासियों को भरोसा दिलाय कि जबतक ज़रूरत होगी तब तक नौसेना के युद्धपोत लगातार विदेशों से ऑक्साजीन लाने के काम में जुटे रहेंगे।

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