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कहां है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कालाबाज़ारी का आरोपी नवनीत कालरा, पांच दिन बाद भी पुलिस की गिरफ्त से दूर

कहां है ऑक्सीजन कंसंट्रेटर कालाबाज़ारी का आरोपी नवनीत कालरा, पांच दिन बाद भी पुलिस की गिरफ्त से दूर

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने बीते बुधवार को नवनीत कालरा के रेस्टोरेंट पर छापा मारकर ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बरामद किए थे। लेकिन 5 दिन गुजर जाने के बाद भी नवनीत कालरा से पुलिस पूछताछ तक नहीं कर पाई है। सूत्रों के मुताबिक, नवनीत कालरा शनिवार शाम तक छतरपुर के अपने फॉर्म हाउस पर ही मौजूद था। शनिवार रात जिस समय क्राइम ब्रांच ने इस फॉर्म हाउस पर छापा मारा उससे कुछ घंटे पहले नवनीत कालरा वहां से अपने परिवार के साथ बाहर गया था। ऐसे में कहीं न कहीं दिल्ली पुलिस भी सवालों के कटघरे में खड़ी होती है कि आखिरकार पुलिस ने नवनीत कालरा पर शिकंजा कसने के लिए 3 दिन का समय क्यों लगा दिया?

जिसके बाद अब पुलिस एलओसी खुल रही है तो अलग-अलग जगहों पर छापेमारी कर रही है। लेकिन पुलिस के हाथ नवनीत कालरा अभी तक नहीं आया है। दिल्ली पुलिस का दावा था कि ये सभी ओक्सीजन कंसेंट्रेटर ब्लैक बोर्ड कर कई गुना कीमतो पर बेचे जा रहे थे। पुलिस के दावों पर खड़े हुए सवाल।

दिल्ली पुलिस का दावा था कि ये सभी ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर ब्लैक की कई गुना कीमतो पर बेचे जा रहे थे। हालांकि इस मामले में अब दिल्ली पुलिस के दावों पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। दिल्ली पुलिस के मुताबिक खान मार्किट से बरामद ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स सेलुलर सर्विस प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के थे।

="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> मैट्रिक्स सेल्यूलर सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वकील समुद्र सारंग ने एबीपी न्यूज़ से बातचीत में बताया कि यह कंपनी पिछले 1 साल में करीब 7800 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर इंपोर्ट कर चुकी है। दिल्ली पुलिस ने जो कंसट्र्रेटर छतरपुर के उनके रजिस्टर्ड ऑफिस और खान मार्केट के नेगे जू से बरामद किए उनकी संख्या 1919 है। और यह सभी कंसेंट्रेटर मैट्रिक्स कंपनी के ही.समुद्र सारंग ने बताया कि सभी ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर इंपोर्ट किए गए और इनकी जीएसटी, इंफो ड्यूटी से लेकर सभी कुछ पे किया गया था। अगर कोई कंसंट्रेटर को लीगल तरीके से पूरी पेमेंट करके मंगवाया गया है तो उसकी ब्लैक मार्केटिंग कैसे हो सकती है?

समुद्र सारंगी का दावा है कि ये 419 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में से 320 ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर की ऑफ़लाइन पोर्टल के माध्यम से धार्मिक हो चुके हैं। मैट्रिक्स कंपनी जो भी पेमेंट लेती है वह अनलाइन ही ली जाती है। कैश पेमेंट किसी कस्टमर से नहीं लिया गया। समुद्र सारंग का कहना है कि छतरपुर मैं उनके रजिस्टर्ड कार्यालय पर पेंडेमिक के चलते काफी भीड़ इकट्ठा होने लगी थी। जिसके नेतृत्व में वहाँ के एंप्लॉय को भी को विभाजित -19 का खतरा हो गया था। इसी के चलते खान मार्केट के नेगे जू रेस्टोरेंट्स को पिकअप प्वाइंट बनाया गया था। जिससे लोगों को सहूलियत हो और वह अपनी बुकिंग रिसिप्ट और पहचान पत्र जारी कर सके।"पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> समुद्र सारंग का यह भी कहना है कि ऑक्सीजन ऑक्सीजनसेंट्रेटर एसेंशियल कमोडिटीज में नहीं आती है। ऐसे में & nbsp; योग्यता को लेकर सरकार की तरफ से किसी तरह की कैपिंग नहीं है। इसलिए & nbsp; कंसेंट्रेटर को कितनी कीमत में बेचना है यह कंपनी खुद तय करती है। लेकिन समुद्र सारंग ने यह भी दावा किया कि सभी कंसेंट्रेटर अलग-अलग क्वालिटी के और क्षमता के थे। इसीलिए उनके अंक अलग-अलग थे। समुद्र सारंग का यह भी कहना है कि अगर आप दूसरी कंपनी के पोर्टल चेक करेंगे तो आपको पता चलेगा कि हम सबसे कम दामों में ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर बेच रहे थे।

समुद्र सारंग का दावा है कि मैट्रिक्स कंपनी ने अपने 90 परसेंट से ज्यादा स्टॉक 50000 से कम कीमत में बेचा है। इस लिए मोरल ग्राउंड पर भी हम गलत नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि मैट्रिक्स कंपनी के मालिक नवनीत कालरा के दोस्त हैं और इसी दोस्ती के लिहाज से सिर्फ नेगे जू रेस्टोरेंट को पिकअप प्वाइंट बनाया गया था।

मैट्रिक्स कंपनी के वकील समुद्र सारंग में यह भी बताया कि टाउन हॉल और खान चाचा रेस्टोरेंट में मिलने वाले ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर इन नहीं थे और ना ही नवनीत कालरा कहां है उन्हें इस बात की जानकारी है। वर्तमान में मैट्रिक्स सेलुलर कंपनी की पेटीशन पर मामला को लेकर हाई कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। लेकिन इस चैन की अहम कड़ी नवनीत कालरा की गिरफ्तारी से अब पूरी सच्चाई सामने आ सकती है।

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