नोएडा में रेमडेसिविर (रेमेडिसवीर) की कालाबाजारी करने वाले युवक से बरामद 105 वायल कोर्ट के आदेश पर अब जरूरतमंदों को मिलेंगी। हालांकि, वितरण से पहले उनकी सत्यता की जांच ग्रेटर नोएडा स्थित जिम्स संस्थान करेगा।
एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि सेक्टर 20 थाना क्षेत्र पुलिस ने मंगलवार को आरोपी रचित को रेमडेसिविर की 105 वायल के साथ गिरफ्तार किया था। पुलिस ने गुरुवार को अदालत में अर्जी लगाई गई थी कि यह इंजेक्शन जीवनरक्षक औषधि है, जिसका वितरण जरूरतमंदों के बीच किया जाना चाहिए। इस पर कोर्ट ने जिम्स को निर्देशित किया है कि वह इंजेक्शन की जांच करने के बाद इसका वितरण जरूरतमंदों के बीच करा दें, तब तक इन इंजेक्शनों को मानकों के अनुसार सुरक्षित वातावरण में रखा जाए।
पुलिस ने कहा कि आरोपी के खिलाफ ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट, महामारी रोग अधिनियम और भारतीय दंड संहिता के प्रासंगिक प्रावधानों के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
आरोपी के खिलाफ NSA की कार्रवाई
एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि जीवन रक्षक दवाओं की कालाबाजारी में शामिल रचित घई और उसकी पूरी विरासत पर एनएसडी लगाया जाएगा। जांच में पता चला है कि इंजेक्शन चंडीगढ़ के पास खौर से लाए गए थे, वे उपलब्ध कराने वाले दवा को भी शीघ्र गिरफ्तार किया जाएगा। इससे पांच वायल बांग्लादेशी भी मिले, जिनके दोगुनी कीमत पर बेच रहे थे। भारतीय वायल 40 हजार तक में बेची जा रही थी। वहीं बांग्लादेश की वायल 80 हजार से एक लाख रुपये तक बेच रही थी।
आरोपी ने पुलिस को बताया कि उसने सोशल मीडिया के माध्यम से को विभाजित -19 से संदिग्ध लोगों से संपर्क करता था और उन्हें रेमडेसिविर इंजेक्शन 15 से 40 हजार रुपये तक में कॉलिंग थी।
रेमडेसिविर की कालाबाजारी करने वाला दबोचा, सोशल मीडिया पर ढूंढता जरूरतमंद मरीज था
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