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कितनी कोरोना वैक्सीन को अब तक मिली है मंजूरी, कैसे लैब से होकर क्लीनिक तक पहुंचती है वैक्सीन?

कितनी कोरोना वैक्सीन को अब तक मिली है मंजूरी, कैसे लैब से होकर क्लीनिक तक पहुंचती है वैक्सीन?

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> कोरोना ने कला में कोहराम मचा रखा है। इसकी वजह से दुनिया के ज्यादातर देशों को लॉकडाउन करना पड़ा। अब सभी देशों की यह कोशिश है कि अपने यहां के लोगों को जल्द से जल्द कोरोना की वैक्सीन लगाई जाए, ताकि इससे हो रही मौतों पर ब्रेक लगाई जा सके। संभावना: किसी वैक्सीन के रिसर्च से लेकर उसके क्लीनिक तक पहुंचने में सालों लग जाते हैं। लेकिन साल 2020 में वैज्ञानिकों ने रिकॉर्ड टाइम में सुरक्षित वैक्सीन बनाकर दुनिया के सामने रखा।

& nbsp; 90 वैक्सीन पर परीक्षण

वर्तमान में शोधकर्ताओं की तरफ से 90 वक्सीन पर मानव पर क्लीनिकल ट्रायल किया जा रहा है, और 27 टेस्टिंग के बाद अंतिम चरण में पहुंच गया है। जबकि, कम से कम 77 इस समय पूर्व-चिकित्सा ट्रायल में, जिसका जानवर पर अनुसंधान चल रहा है। आइये जानते हैं कौन सी वो वैक्सीन है, जिसका इस्तेमाल के लिए मंजूरी दी जा रही है –

1 – फाइजर-बायोनेट: & nbsp; इसका प्रभावोत्पादकता 91.3 प्रतिशत है। इसके लिए -13 डिग्री फारेनहाइट से 5 फारेनहाइट (-25 डिग्री सेल्सियस से -15 डिग्री सेल्सियस) है। फाइजर और बायोएनटेक वैक्सीन अंतिम चरण का ट्रायल होने के बाद कई देशों में मंजूरी दी जा चुकी है। अमेरिकी, यूरोपीय संघ सहित कई अन्य देशों में इसका इमरजेंसी इस्तेमाल किया जा रहा है।

2 – आधुनिक: मॉडर्ना की प्रभावोत्पादकता 90 प्रति से ज्यादा है। इसे -4 फारेनहाइट (यानि -20 डिग्री सेल्सियस पर 30 दिनों तक रेफ्रिजरेशन में रखा जा सकता है। & nbsp; इस वैक्सीन को बोस्टन की कंपनी ने तैयार किया है। इसका अमेरिका, यूरोपीय यूनीयन सहित कई देशों में इस्तेमाल किया जा रहा है।) मजबूत> & nbsp;

3 – Gamaleya: गमलेया का सबसे पहले रूस में इस्तेमाल किया गया था। अब कई देशों में इसके उपयोग के लिए मंजूरी दी गई है।

4 – ऑक्सफोर्ड-एज़ज़ेनेका: ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनिका वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता 75 प्रति है। यह छह महीने तक रेफ्रिजरेटर में रखा जा सकता है। & nbsp; ऑक्सफ़ोर्ड एस्ट्रेजेनिका वैक्सीन का उपयोग ब्रिटेन, यूरोपीय संघ सहित कई देशों में किया जा रहा है। हालांकि, डेनमार्क में इसका इस्तेमाल रोक दिया गया है।

5 – कैनिनो: यह वैक्सीन की प्रभावोत्पादकता 65.28 प्रतिशत है और यह सिलेजल डोज वैक्सीन है। यह जारी रखा जा सकता है। इस वैक्सीन को चीन ने मंजूरी दी थी। & nbsp; इस समय कई अन्य देशों में इसका उपयोग किया जा रहा है।

6 – जॉनसन & amp; जॉनसन: जॉनसन और जॉनसन सिलेज डोज वैक्सीन है। इसका अमेरिका में प्रभावोत्पादक ,२ प्रतिशत, जेसन में ६ और प्रतिशत और दक्षिण अफ्रीका में ६४ प्रतिशत है। & nbsp; इस वैक्सीन का उपयोग अमेरिका, यूरोपीय संघ और अन्य देशों में किया जा रहा है। हालांकि, कुछ देशों ने इसका इस्तेमाल रोक दिया है। डेनिश ने भी इस वैक्सीन पर रोक लगा दी है।

7 – वेक्टर संस्थान: इसका इस्तेमाल किया गया था। तुर्कमेनिस्तान में इसको मंजूरी दी गई है।

8 – Sinopharm: सिनोफार्म वैक्सीन को चीन की कंपनी और nbsp; ने तैयार किया है। इसके चीन, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन ने मंजूरी दी। कई देशों में इसके इमरजेंसी इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। डब्ल्यूएचओ ने भी इसका इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है।

9 – सिनोवैक: इसको चीन, यूएई और बहरीन ने मंजूरी दी। कई अन्य देशों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

10 – सिनोपार्म-वुहान: इसको चीन में मंजूरी दी गई है। इसका सीमित उपयोग संयुक्त अरब एम्स्टर्ड में किया जा रहा है।

11 – Bharat BioTech: इसके इस्तेमाल में भारत ने मंजूरी दे दी है। कई अन्य देशों में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।

कैसे ट्रायल से चिकित्सा तक पहुंचती है वैक्सीन ?

प्री-क्लीनिकल टेस्टिंग- वैज्ञानिक सबसे पहले नई वैक्सीन को कोशिकाओं (कोशिकाओं) में जांच करती है और उसके बाद इसे जानवर जैसे चूहे और बंदरों पर इसका टीका लगाया जाता है, इसलिए इसकी प्रतिरोधी क्षमता का पता लगाया जाता है। संभव हो रहा है।

फेज -1 सेफ्टी ट्रायल्स : शुरुआत में वैज्ञानिकों की तरफ से वैक्सीन को डोज बहुत ही कम संख्या में लोगों की दी जाती है ताकि इसकी प्रतिरोधी क्षमता की पुष्टि हो सके। < / p>

फेज -2 ट्रायल : दूसरे चरण में लोगों का समूह बनाकर सैकड़ों की संख्या में लोगों को वैक्सीन दी जाती है, जैसे बच्चे और अधिक उम्र के लोगों को। इसलिए यह देखा गया है कि क्या अलग तरीके से वैक्सीन काम कर रही है। इस ट्रायल के दौरान वैक्सन के सुरक्षित होने का भी पता लगाया जाता है।

फेज -2 प्रभावोत्पाकता परीक्षण : अंतिम चरण के ट्रायल के दौरान हजारों की सख्या में लोगों को वैक्सीन लगाई जाती है और यह पता लगाया जाता है कि कितने लोग सतर्क हैं और उनका तुलना वालेंटियर्स से की जाती है, जिन्हे टीका लगाया गया है। इस चरण के दौरान यह पता चलता है कि कोरोना के खिलाफ वैक्सीन कितना प्रभावी है और इसके प्रभावोत्पादकता का पता चलता है। फेज -3 के दौरान मिले डेटा की सुरक्षा के बड़े साक्ष्य होता है, जो यह तय करता है कि इसके साइड इफैक्ट्स के के बराबर है।

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