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2 -डीजी दवा

कोरोना की 2-डीजी : ग्लूकोज जैसी होने के कारण उत्पादन व इस्तेमाल में आसान है डीआरडीओ की दवा

by Sneha Shukla

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली

द्वारा प्रकाशित: संजीव कुमार झा
अपडेटेड सन, 09 मई 2021 05:20 AM IST

सार

इस दवा का परीक्षण पिछले साल अप्रैल में शुरू किया गया था और इस साल मार्च तक तीन चरण में पूरा किया गया। इसके बाद ही दवा के उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया गया।

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कोरोना सिद्धांतोंों के इलाज के लिए डीआरडीओ की तरफ से विकसित 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा की खास बात इसका आसान उपयोग है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह दवा पाउडर के रूप में आता है और इसे पानी में घोलकर आसानी से लिया जा सकता है। इस दवा का परीक्षण पिछले साल अप्रैल में शुरू किया गया था और इस साल मार्च तक तीन चरण में पूरा किया गया। इसके बाद ही दवा के उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया गया।

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने कहा, 2-डीजी एक जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ग्लुकोज से मिलता जुलता है, इसलिए इसका उत्पादन आसान होगा और देश में बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सकती है।

मंत्रालय के मुताबिक, पिछले साल अप्रैल महीने में कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस दवा का परीक्षण शुरू किया था। हैदराबाद में केंद्र के लिए सेल्युलर और मॉलीक्यूलर बायलंटी की मदद से किए गए परीक्षण में यह प्रभावी पाया गया है। इसके आधार पर बोजी की अनुमति से पिछले साल मई से अक्टूबर तक को विभाजित रोगियों पर दूसरे चरण का चिकित्सीय परीक्षण किया गया।

इस दौरान भी यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित पाई गई थी। दूसरे चरण के पहले नैदानिक ​​परीक्षण में देश के छह और दूसरे परीक्षण में 11 अस्पतालों को शामिल कर 110 रोगियों पर अध्ययन किया गया। इसके परिणामों के आधार पर नवंबर से इस साल मार्च महीने तक तीसरे चरण का चिकित्सीय परीक्षण किया गया। इस दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 को विभाजित अस्पतालों में भर्ती 220 मरीजों को दवा दी गई। इस परीक्षण में सफलता के बाद अब सरकार ने इस दवा को मंजूरी दी है।

एक महीने में रोगियों को उपलब्ध होगा
भारतीय औषध महानियंत्रक (जीजीआई) की अनुमति के बावजूद 2-डीजी दवा को रोगियों को उपलब्ध कराने में अभी भी एक महीने का समय लग सकता है। दरअसल इस दौरान इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण श्रृंखला तैयार करने जैसी तैयारियां की जाएगी। केंद्र सरकार की योजना इस दवा को जमाखोरी से बचाने के लिए जिला प्रशासनों के जरिये अस्पतालों में उपलब्ध कराने की है।

कोविद -19 की मौजूदा दूसरी लहर में बड़ी संख्या में रोगियों में ऑक्सीजन पर गंभीर निर्भरता और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत दिखाई दी है। हानिकारक कोशिकाओं में 2-डीजी दवा के प्रभाव को देखते हुए इससे बहुत सारी कीमती जान बचने की उम्मीद है। साथ ही यह कोविद -19 रोगियों के अस्पताल प्रवास को भी भगेगी।

विस्तार

कोरोना सिद्धांतोंों के इलाज के लिए डीआरडीओ की तरफ से विकसित 2-डियोक्सी-डी-ग्लूकोज (2-डीजी) दवा की खास बात इसका आसान उपयोग है। केंद्रीय रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, यह दवा पाउडर के रूप में आता है और इसे पानी में घोलकर आसानी से लिया जा सकता है। इस दवा का परीक्षण पिछले साल अप्रैल में शुरू किया गया था और इस साल मार्च तक तीन चरण में पूरा किया गया। इसके बाद ही दवा के उपयोग की मंजूरी के लिए आवेदन किया गया।

केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने कहा, 2-डीजी एक जेनेरिक मॉलीक्यूल है और ग्लुकोज से मिलता जुलता है, इसलिए इसका उत्पादन आसान होगा और देश में बड़े पैमाने पर उपलब्ध कराई जा सकती है।

मंत्रालय के मुताबिक, पिछले साल अप्रैल महीने में कोरोना की पहली लहर के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील पर डीआरडीओ के वैज्ञानिकों ने इस दवा का परीक्षण शुरू किया था। हैदराबाद में केंद्र के लिए सेल्युलर और मॉलीक्यूलर बायलंटी की मदद से किए गए परीक्षण में यह प्रभावी पाया गया है। इसके आधार पर बोजी की अनुमति से पिछले साल मई से अक्टूबर तक को विभाजित रोगियों पर दूसरे चरण का चिकित्सीय परीक्षण किया गया।

इस दौरान भी यह दवा पूरी तरह से सुरक्षित पाई गई थी। दूसरे चरण के पहले नैदानिक ​​परीक्षण में देश के छह और दूसरे परीक्षण में 11 अस्पतालों को शामिल कर 110 रोगियों पर अध्ययन किया गया। इसके परिणामों के आधार पर नवंबर से इस साल मार्च महीने तक तीसरे चरण का चिकित्सीय परीक्षण किया गया। इस दौरान दिल्ली, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक और तमिलनाडु के 27 को विभाजित अस्पतालों में भर्ती 220 मरीजों को दवा दी गई। इस परीक्षण में सफलता के बाद अब सरकार ने इस दवा को मंजूरी दी है।

एक महीने में रोगियों को उपलब्ध होगा

भारतीय औषध महानियंत्रक (जीजीआई) की अनुमति के बावजूद 2-डीजी दवा को रोगियों को उपलब्ध कराने में अभी भी एक महीने का समय लग सकता है। दरअसल इस दौरान इसके बड़े पैमाने पर उत्पादन और वितरण श्रृंखला तैयार करने जैसी तैयारियां की जाएगी। केंद्र सरकार की योजना इस दवा को जमाखोरी से बचाने के लिए जिला प्रशासनों के जरिये अस्पतालों में उपलब्ध कराने की है।

कोविद -19 की मौजूदा दूसरी लहर में बड़ी संख्या में रोगियों में ऑक्सीजन पर गंभीर निर्भरता और अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत दिखाई दी है। हानिकारक कोशिकाओं में 2-डीजी दवा के प्रभाव को देखते हुए इससे बहुत सारी कीमती जान बचने की उम्मीद है। साथ ही यह कोविद -19 रोगियों के अस्पताल प्रवास को भी भगेगी।

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