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Covid-19 महज फेफड़े की बीमारी नहीं है, इससे खतरनाक तरीके से खून का थक्का भी जम सकता है: विशेषज्ञ

कोरोना मरीजों में घातक ब्लैक फंगस इंफेक्शन के ज्यादा मामले नहीं हैं- नीति आयोग

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: कोरोना से पीड़ित रोगियों में फंगल इंफेक्शन म्यूकोरमाइकोसिस पाया जा रहा है और मुख्यत: उन लोगों में यह संक्रमण पाया जा रहा है जो डाय से पीड़ित हैं लेकिन इसके ज्यादा मामले नहीं हैं। यह बात शुक्रवार को नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कही है। उन्होंने कहा कि स्थिति की निगरानी की जा रही है और मकोरमाइकोसिस का उपचार उपलब्ध है।

दिल्ली के एक बड़े निजी अस्पताल ने एक दिन पहले ही कोविड के कारण म्यूकोरमाइकोसिस या (काले फंगस) के बढ़ते मामलों को उजागर किया था। पॉल ने कहा, "फंगल इंफेक्शन जिसे म्यूकोरमाइकोसिस कहा जाता है, वह को विभाजित -19 की बीमारी में पाया जा रहा है। यह मुकर नाम के फंगस के कारण होता है जो गीले सतह पर पाया जाता है। यह मुख्यत: उन लोगों को हो रहा है जो डाय से पीड़ित हैं। यह उन लोगों में शामिल है: नहीं पाया जा रहा है, जिन्हें डाय की शिकायत नहीं है। इसके ज्यादा मामले नहीं हैं और हम नजर रख रहे हैं।"

ब्लैक फंगस इंफेक्शन का ज्यादा प्रभाव कब होता है
उन्होंने कहा, ‘अनियंत्रित आहार वालों पर मुकर हमला करता है। इसके अलावा डाय का मरीज अगर प्रतिरोधक क्षमता को दबाने वाली दवाओं, स्टेरायड ले रहा है या जिसे कैंसर है, तो फिर उस व्यक्ति में म्यूकोरमाइकोसिस का प्रभाव ज्यादा है। अगर ऐसे रोगी गीली सतह के संपर्क में आते हैं तो इस बीमारी से पीड़ित होने की संभावना ज्यादा हो जाती है। ‘ p p = ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> पॉल ने कहा कि प्रतिरोधक क्षमता को कम करने वाली लेकिन जीवन रक्षक दवाओं जैसे डेक्सामेथासोन, प्रेडनीसोलोन, मिथाइलप्रेडिनीसोलोन, डेक्सोना आदि का इस्तेमाल कोविड से पीड़ित मरीजों के इलाज में किया जा रहा है।

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