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यूनिवर्सिटी ऑफ सेंट्रलवाइ में कुछ जांचकर्ताओं ने एक शोध में पाया कि कोरोनावायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की जगह पर अगर अच्छे वेंटिलेशन की व्यवस्था की जाए और चेहरे को लगाया जाए तो 50% तक वायरस कम हो सकता है। जांचकर्ताओं के मुताबिक वेंटिलेशन सिस्टम और फेस का इस्तेमाल ट्रांसमिशन को रोकने के लिए सबसे महत्वपूर्ण माना गया है। इसी के कारण से भी माना गया है कि वायरस को रोकने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत नहीं है। इस पर अनुसंधान करने के लिए जांचकर्ताओं ने कंप्यूटर नेटवर्किंग का इस्तेमाल कर शिक्षक और छात्रों के साथ एक कक्षा बनाई। जिसमें एयरफ्लो और बीमारी के प्रसार को संशोधित किया गया और एयरबोर्न ट्रांसमिशन की जांच की गई।
एक मॉडल बना हुआ कर रहा है किया हुआ हो गया परीक्षण
ये मॉडल आकार में एक छोटे विश्वविद्यालय की कक्षा के समान था जो 9 फुट ऊंची छत के साथ 709 वर्ग फीट में बना था। वहाँ इस मॉडल के छात्र और शिक्षक सभी संकायों में रखे गए थे। वहीं छात्रों में से कोई भी बीमारी से पीड़ित हो सकता था। जिसके बाद विश्लेषण में पाया गया कि मॉडल में दो कमरे हैं एक वेंटिलेशन के साथ और एक बिना वेंटिलेशन का कमरा है, जिसमें जांचकर्ताओं ने पाया है कि facfor Airosol जोखिम को रोकने में फायदेमंद था और वेंटिलेशन वाले कमरे ने कोरोना के संक्रमण को 50% तक दूर किया है। है रुका है।
फं और वेंटिलेशन से है कम है हो कर सकते हैं है वायरस
शोध में पाया गया है कि अगर चेहरे पहनने के दौरान संक्रमण की जांच की जाए तो ये संक्रमण को बढ़ने नहीं देगा। इसलिए स्कूल और अन्य सेवाओं में जाने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग की नहीं, बल्कि संकाय की जरूरत है। वहाँ वेंटिलेशन सिस्टम की वजह से होने वाले एयरफ्लो का निरंतर प्रवाह हवा को प्रसारित करता है जिससे संक्रमण का खतरा कम हो जाता है।
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