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कोरोना संकट: पीएम-केयर्स फंड से खरीदा जाएगा डेढ़ लाख ‘ऑक्सी-केयर’ सिस्टम

कोरोना संकट: पीएम-केयर्स फंड से खरीदा जाएगा डेढ़ लाख ‘ऑक्सी-केयर’ सिस्टम

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> नई दिल्ली: कोरोना काल में ऑक्सीजन के लिए मचे हाहकार के बीच पीएम-केयर्स फंड से डीआरडीओ के डेढ़ (1.50) लाख & lsquo; ऑक्सीजन-कैर & rsquo; सिस्टम खरीदने का फैसला किया गया है। एसपीओटू सिस्टम पर आधारित ये स्वदेशी रिसर्च की कुल कीमत लगभग 322.50 करोड़ है। & nbsp;

रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, इस ऑक्सीजन-कैर सिस्टम को डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) ने कुछ साल पहले हाई-ऑलटिट्यूड क्षेत्रों में तैनात सैनिकों के लिए तैयार किया था। डीआरडीओ की बेंगलुरू स्थित डिफेंस बायो-केवाई और इलेक्ट्रो मेडिकल बिलोरेटरी (डीईबीईएल) ने इस सिस्टम को डेवलेप किया था, जो मरीज की एसपीओटू लेबल भांपकर उसे उसी तरह ऑक्सीजन ऑक्सीजन देता है। रक्षा मंत्रालय का दावा है कि ये ऑक्सीकेयर कोरोना से ग्रस्त मरीजों के इलाज के लिए प्रभावी साबित होगा।

रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर बताया कि ये ऑक्सीकेयर दो वर्जन में उपलब्ध है। ऑवैटिक वर्जन में ऑक्सीजन सिलेंडर में इलेक्ट्रोल-कंट्रोल मौजूद है जो एसपीओटू और अटैविक रेगुलेटर से मरीज की ऑक्सीजन जान लेता है। इसका फायदा यह होता है कि रोगी को उसकी ऑक्सीजन लेवल (कम है या बहुत) उसके अनुसार ही ऑक्सीकेयर ऑक्सीजन सप्लाई करता है। इससे एक सिलेंडर में कम से कम 35-40 प्रतिशत ऑक्सीजन की बचत होती है।

ऑक्सीजन-कैर के बेसिक वर्जन में एक 10 लीटर के सिलेंडर में प्रेशर रेगुलेटर-युक्त फ्लो-नियंत्रक, एक ह्यूमिडीफाइर और एक नेसल-कैनुला होता है। इसमें एसपीओटू रिडिंग के अनुसार ऑक्सजीन की सप्लाई मरीज को दी जाती है।

डीआरडीओ के मुताबिक, ये दोनों वर्जन की टीएस कई कंपनियों को ट्रांसफर कर दी गई है, जो अब इन ऑक्सीजन-कैर का निर्माण करेंगी। पीएम-केयर्स फंड से कुल एक लाख अटैटिक ऑक्सीकेयर और 50 हजार बेसिक ऑक्सीकेयर का लाइसेंस दिया गया है।

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