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क्या है वो चार गलतियां, जिनकी वजह से बढ़ रहे हैं कुछ राज्यों में कोरोना के मामले

क्या है वो चार गलतियां, जिनकी वजह से बढ़ रहे हैं कुछ राज्यों में कोरोना के मामले

by Sneha Shukla

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नई दिल्ली: भारत में कोरोना के मामले उछाल से बढ़ रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से कुछ राज्यों में लगातार नए केस उछाल से रिपोर्ट हो रही हैं। हालात खराब होते जा रहे हैं और ये चिंताजनक स्तिथि है, खुद केंद्र सरकार इस बात को कह रही है। जिन राज्यों में केस बढ़ रहे हैं, वहां चार गलतियां हो रही हैं, जिसकी ओर केंद्र सरकार ने इन राज्यों को तुरंत काम करने को कहा है।

हर दिन कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। भारत के कुछ राज्यों में लगातार मामले बढ़ रहे हैं। साथ ही राज्यों में वीकली पॉजिट प्रोफाइल रेट भारत की औसत रेट से ज्यादा है। खुद केंद्र सरकार ने कहा कि हालात खराब और चिंताजनक हैं। पिछले 24 घंटेो में भारत मे 56,211 नए संक्रमण के मामले सामने आए, 271 लोगों की संक्रमण से जान जा चुकी है। देश में विभिन्न रोगियों की संख्या 1,20,95,855 पहुंच गई है। जिसमें से 1,13,93,021 लोग ठीक हो चुके हैं, वहीं 1,62,114 लोगों की मौत हो चुकी है। देश के अभी तक 5,40,720 सक्रिय मामले हैं, जिनका इलाज चल रहा है। ये आंकड़े डराने वाले और चिंताजनक हैं। स्वयं नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ। वी के पॉल इस बात को मानते हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार महाराष्ट्र, पंजाब, कर्नाटक, छत्तीसगढ़, गुजरात, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु और दिल्ली में पिछले कुछ दिनों में नए मामलों में तेजी आई है। वहीं, वीकली पॉजिट और रेट भी बढ़े हैं। कुछ राज्यों में वीकली पॉजिट रिव्यू भारत की औसत से कई ज्यादा है। भारत की औसत पॉजिट यूनिट रेट 5.65% है, जबकि इन राज्यों की ज्यादा है। महाराष्ट्र की 23.44%, पंजाब की 8.82%, छत्तीसगढ़ 8.24% और मध्य प्रदेश की 7.82% वीकली पॉजिट बैंक रेट है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक बढ़ने के पीछे चार बड़ी वजह हैं

-केस बढ़ रहे हैं, लेकिन उतने टेस्ट नहीं हो रहे हैं।
-सामान्य तौर पर आइसोलेशन नहीं हो पा रहा है।
-कैंटेक्ट ट्रेसिंग में कमी।
-कोविड एप्रोफेरेट बिहेवियर का पालन नहीं होना चाहिए।

केंद्र स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक कुछ राज्यों में केस बढ़ रहे हैं, लेकिन उस अनुपात से टेस्टिंग नहीं हो रही है। वहीं, टेस्टिंग के आरटी पीसीआर टेस्ट उस अनुपात में नहीं हैं, जबकि 70% करने के लिए कहा गया है। महाराष्ट्र, पंजाब, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में साप्ताहिक पॉजिट प्रोफाइल रेट राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है, जबकि यहां उस अनुपात में नहीं है। इसलिए राज्यों को सलाह दी गई है कि वह ज्यादा से ज्यादा टेस्टिंग करें, वे भी आरटी पीसीआर।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बताया, “हमने राज्यों और जिला अधिकारियों से निवेदन किया कि अगर आपके यहां केस बढ़ रहे हैं तो आपके यहां टेस्ट की संख्या क्यों नहीं बढ़ रही है। तो आवश्कयता है कि आप टेस्ट को बढ़ाएं। विशेष एसआईटी पीसीआर टेस्ट करें। रैपिड एंटीजन टेस्ट का इस्तेमाल स्क्रीनिंग के तौर पर किया जाए, इसका इस्तेमाल घनी आबादी वाले इलाके में करें। आरटी पीसीआर का अनुपात 70% तक है।

बढ़ते मामलों की एक वजह है ठीक से संक्षेपण नहीं कर पाना। प्रभावी ढंग से नहीं होने की वजह से भी मामले बढ़ रहे हैं। राजेश भूषण ने कहा, “हमने राज्यों से कहा कि प्रभावी ढंग से किया जाए ।INका संक्षेपण, जो पॉजिटिव आये हैं टेस्ट में। हमने देखा कि ज्यादातर राज्यों में आइसोलेशन नहीं हो रहे हैं और लोगों से कहा जा रहा है कि वह घर पर आइसोलेशन कर रहे हैं। लें। लेकिन घर पर वो आइसोलेशन में हैं, इसकी निगरानी करने की जरूरत है। अगर ऐसा नहीं कर सकते तो इन लोगों को इंस्टिट्यूशनल क्वारंटीन किया जाए। इसमें कोई नई बात नहीं है, इसलिए हम पिछले एक साल से करते आए हैं। ढंग से किया गया है। दिल्ली ने ऐसा किया है और इसके कारण दिल्ली ने अत्यधिक पाया है। “

वहीं तीसरा प्रमुख कारण है संदिग्ध व्यक्ति के संपर्क में आया लोगो की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ठीक से नहीं हो रहा है। 72 घंटे में ये करना है और कम से कम 20 लोग जो संपर्क में आए हैं, उनमें टेस्ट न करना भी एक बड़ा कारण है।

राजेश भूषण कहते हैं, “हमने ये भी कहा है कि जो भी पॉजिटिव हो जाता है, उसकी कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग होनी चाहिए। ये 72 घंटे में होनी चाहिए। पहले तीन दिनों में होनी चाहिए। क्लोज कॉन्टैक्ट का मतलब उस व्यक्ति के परिवार के लोग ही। नहीं हैं, वो तो हैं लेकिन उसके अलावा उस व्यक्ति के दोस्त कौन हैं, जहां से सब्जी दूध खरीदता था, जहां चाय पिता था, वे सब भी उसके क्लोज कॉन्टैक्ट हैं। ये सबको छोड़ा जा रहा है। उन्हें नहीं ट्रेस किया जा रहा है। । वहाँ भी पोटेंशियल पॉजिटिव हो सकते हैं। उनका टेस्ट नहीं हो रहा है, इसलिए यह संभावना बनी हुई है कि वह समाज में घूमने और संभल जाए। “

चौथी वजह कोरोना एप्रोफेरेट बिहेवियर का पालन नहीं होना चाहिए। लोग बिना फंदा लगाए सुपरमार्केट में और बाकी जगह घूम रहे हैं। वहीं सोशल डिस्टेनसिंग का भी पालन नहीं हो रहा है, जो केस बढ़ने की वजह हैं। केंद्र सरकार ने शनिवार को 12 राज्यों के साथ बैठक में ये बात उन राज्यों को बताई। इन राज्यों के 46 जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। इस बैठक में राज्य के स्वास्थ्य सचिव, जिला अधिकारी, मयुनिसिपल कमिश्नर और स्वास्थ्य से जुड़े लोग थे।

राज्यों से कहा गया है कि बढ़ते मामलों को देखते हुए फिर से निजी और सरकारी अस्पतालों के इंफ्रास्ट्रक्चर को विभाजित करने के लिए तैयार होना चाहिए। इसलिए टैस्टिंग, ट्रेसिंग और ट्रीटमेंट पॉलिसी को लागू किया जा सकता है।

राजेश भूषण ने कहा, “राज्यों ने क्योंकि केस कम हो रहे थे, इसलिए ऐसे अस्पतालों को नॉन को विभाजित वापस बना दिया था। तो हमने राज्यों से अनुरोध किया है कि उन अस्पतालों को फिर संशोधित किया जाए को लाभांश फैसिलिटी के तौर पर। तो उन राज्यों में। अभी तक जाना चाहिए

इसके अलावा भारत मे चल रहे टीकाकरण को और उछाल से करना होगा ताकि लोगो को लगभग संभव हो सके। स्वच्छ है कि ये गलतियाँ हुईं हैं, जिसका परिणाम यह है कि देश में मामला बढ़े हैं। हालात पिछले साल की तरह दिख रहे हैं। ऐसे में जल्द ही कुछ नहीं किया गया, इसलिए हालात और बुरे हो जाएंगे।

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