Home » खान मार्केट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी और जमाखोरी के आरोप में गिरफ्तार 4 आरोपियों को मिली जमानत
खान मार्केट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी और जमाखोरी के आरोप में गिरफ्तार 4 आरोपियों को मिली जमानत

खान मार्केट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी और जमाखोरी के आरोप में गिरफ्तार 4 आरोपियों को मिली जमानत

by Sneha Shukla

नई दिल्ली: खान मार्केट में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर की कालाबाजारी और जमाखोरी के मामले में गिरफ्तार किए गए चारों आरोपियों को बुधवार को दिल्ली की साकेत कोर्ट से जमानत मिल गई। कोर्ट ने 50000 रुपये के निजी मुचलके पर इन आरोपियों को जमानत दी। इन 4 लोगों में मैट्रिक्स कंपनी के सीईओ का नाम भी शामिल है। कल यानी 13 मई दिन गुरुवार को अदालत इस मामले में दो और आरोपियों की याचिका को लेकर अपना आदेश सुनाएगी। वहीं इस मामले में सह आरोपी नवनीत कालरा जो वर्तमान में अब तक पुलिस की गिरफ्त से बाहर है उसकी कार्यवाही जमानत याचिका पर गुरुवार को ही अदालत अपना फैसला सुनाएगी। & nbsp;

चारों आरोपियों को जमानत देते हुए दिल्ली की साकेत कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली पुलिस की जांच और आरोपियों के ऊपर लगाए गए आरोपों का जिक्र करते हुए यह कहा है कि वर्तमान में दिल्ली पुलिस के अब तक की जांच कि ऐसा साबित नहीं हो पाया कि यह आरोपी किसी भी सूरत में कालाबाजारी और जमाखोरी कर रहे थे। कोर्ट ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि दिल्ली पुलिस ने इन आरोपियों के खिलाफ जो धाराएं लगाई वह भी जाहिर तौर पर इन आरोपियों के किसी भी तरह के अपराध को साबित नहीं करती। & nbsp;

कोर्ट ने अपने बारे में आदेश में कहा गया है कि ऑक्सीजन कंसेंट्रेटर साल 2013 के ड्रग क्वालिटी कंट्रोल नंबर का भी हिस्सा नहीं है। क्योंकि उस संख्या में भी अधिकतम कीमत की बात की गई है लिहाजा यह आदेश यहां भी लागू नहीं होता। हालांकि दिल्ली सरकार के ड्रग कंट्रोल डिपार्टमेंट ने 7 मई को एक आदेश जारी कर कहा कि कोई भी व्यक्ति किसी भी मेडिकल का उपकरण एमआरपी से ज्यादा कीमत पर नहीं बेचेगा। लेकिन दिल्ली सरकार का आदेश इस मामले में लागू नहीं होता क्योंकि यह मामला इस आदेश के जारी होने से पहले का है। & nbsp;

इसके अलावा जांच एजेंसी अभी तक यह भी साबित नहीं कर पाई है कि आरोपियों ने ऑक्सीजन दी है कंसेंट्रेटर एमआरपी से ज्यादा कीमत पर बेचा गया। 12 मामलों का जिक्र किया गया और उसमें भी 1000 से 1500 रुपये का मामला था। आरोपियों के मुताबिक किए गए ट्रांसपोर्टेशन चार्ज का पैसा था। क्योंकि इस उपकरण को लेकर सरकार की तरफ से कोई मारपीट नहीं की गई थी। लिहाजा आरोपियों के पास पूरी छुट्टी की वह उस उपकरण की एमआरपी अपने हिसाब से तय करें। & nbsp;

दिल्ली हाईकोर्ट लगातार कह रही है कि ऐसे मेडिकल उपकरण की अधिकतम कीमत तय होनी चाहिए। लेकिन कोर्ट के आदेश के बाद भी अब तक ऐसा कोई आदेश नहीं जारी हुआ जिसके तहत ऐसे उपकरणों की अधिकतम कीमत यानी एमआरपी तय हुई हैं। & nbsp;

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि किसी भी इम्पोर्टर या मैन्युफैक्चरर को कानून के अलग-अलग प्रवाह के तहत मामला दर्ज कर सरकार ने भले ही यह कोशिश की हो कि वह लोगों की परेशानी को कम कर सके। लेकिन इस तरह के मामलों से लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है क्योंकि इससे उनकी ज़रूरत के मेडिकल उपकरणों की कमी हो रही है। & nbsp;

हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ किया कि कोर्ट किसी भी सूरत में जमाखोरों और कालाबाजारी करने वालों से किसी तरह की संवेदना नहीं रखती। कोर्ट ने कहा कि अगर जांच एजेंसी ब्लैक मार्केटिंग पर रोक लगाने की बात ही कर रही है तो उसने ब्लैक मार्केटिंग से जुड़े हुए कानून को इस मामले में क्यों नहीं लागू किया। & nbsp;

कोर्ट ने प्रदेश में साफ कहा कि वर्तमान में अब तक की जांच के साथ से जांच अधिकारी कोई भी ऐसा सबूत कोर्ट के सामने नहीं पाया गया जिससे कालाबाजारी साबित हो। और हो रही बात मैट्रिक्स की तो मैट्रिक इस तरीके से सामान की बिक्री वर्ष 2016 से ही ऐप के ज़रिए कर रही है। आरोपियों को जमानत देते हुए कोर्ट ने कहा कि वर्तमान में जांच एजेंसी के पास आरोपियों से जो दस्तावेज की जरूरत थी वह सब पहुंच चुके हैं। & nbsp;

इससे पहले कल इन आरोपियों की जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान आरोपियों के खिलाफ वकील की तरफ से दलील देते हुए कहा गया था कि उसमें कुछ भी गलत नहीं किया गया लेकिन फिर भी इन लोगों को आरोपी बना दिया गया। अगर सब कुछ कानूनी तरीके से खोला और बेचा गया तो फिर जमाखोरी और कालाबाजारी कैसे हुई। & nbsp;

HomepageClick Hear

Related Posts

Leave a Comment