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गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर उठाए सवाल, कहा- रेमडेसिविर दवा के 'मिथक' को दूर करें

गुजरात हाईकोर्ट ने राज्य सरकार पर उठाए सवाल, कहा- रेमडेसिविर दवा के ‘मिथक’ को दूर करें

by Sneha Shukla

अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट ने कोरोना मरीजों के लिए रेमडेसिवर दवा को लेकर राज्य सरकार पर सवाल उठाए हैं। हाईकोर्ट का कहना है कि राज्य सरकार अपने संसाधनों का सही तरीके से इस्तेमाल नहीं कर रही है। हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार को खुलकर रेमडेसिविर के मिथकों पर अपना बयान देना चाहिए।

मुख्य न्यायाधीश ने पूछा, रेमदेसीवीर दवा उपलब्ध है, लेकिन आपके अनुसार यह जमाखोरी की जा रही है। क्यों? अदालत ने कहा, “रेमडेसिविर को लेकर बहुत सारे मिथक हैं। डब्ल्यूएचओ की अलग अवधारणा है, आईसीएमआर की अलग अवधारणा है, राज्य की एक अलग सोच है। जनता को पता नहीं है। जनता को लगता है कि रेमेडिविवर उन्हें को विभाजित -19 से बचाते हैं। हो सकता है। इसका सामान्य रूप से प्रचार किया गया है। राज्य ने ये सब कुछ देखा है। इस बारे में सही जानकारी दी जानी चाहिए। “

जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी हाईकोर्ट
कोरोना संकट के बढ़ते मामलों को लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति भार्गव करिया की पीठ ने कहा कि अभी भी कई छोटे जिलों में आरटी-पीसीआर की सुविधा नहीं है। पीठ ने याद दिलाया कि इस स्थिति से निपटने के लिए कोर्ट ने फरवरी में ही सचेत किया था।

एडवोकेट जनरल कमल त्रिवेदी ने कहा कि गुजरात सरकार कोरोना की बिगड़ती स्थिति के प्रति बहुत सचेत है। इसपर पीठ ने याद दिलाया कि अदालत ने पहली बार फरवरी में सुझाव दिया था कि राज्य की स्थिति से निपटने के लिए सही तरीके से कार्य करें, बदलाव उठाएं और पर्याप्त बिस्तर की व्यवस्था करें।

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