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चाणक्य नीति: बड़े लक्ष्य साधने के लिए जरूरी है गोपनीयता, सफलता स्वयं जाहिर कर देगी सच्चाई

चाणक्य नीति: बड़े लक्ष्य साधने के लिए जरूरी है गोपनीयता, सफलता स्वयं जाहिर कर देगी सच्चाई

by Sneha Shukla

<पी शैली ="पाठ-संरेखित करें: औचित्य;"> आचार्य चाणक्य ने संपर्क और संचार का बेहतर उपयोग अपने युद्ध कौशल में किया था। गुप्तचरों और गूढ़ पुरुषों की सेना तैयार की थी। वास्तविकता यह है कि चाणक्य ने रणकौशल की सबसे बड़ी योग्यता ही गोपनीयता को माना था। अपनी किसी भी योजना की भनक तक कभी विरोधियों को नहीं लगने दी थी। वे विरोधियों को भी उतनी जानकारी जाहिर करते थे जैसा कि आवश्यक समझ रहे थे।

चाणक्य ने सबसे महत्वपूर्ण लड़ाई मगध सम्राट धनानंद के खिलाफ लड़ी थी। इसमें उन्होंने रक्त क्रांति की बजाय कूटनीति से सफलता पाई थी। राज प्रसादाद में अपने गुप्तचरों की पूरी फौज धीरे-धीरे भर्ती करवा दी थी। जिसने विद्रोह के समय के अंदर से मोर्चा संभाला और आचार्य की जीत सुनिश्चित की थी। चाणक्य का मानना ​​था कि विरोधी जब अधिक सक्षम हो तो कभी अपनी कोई बात हासिल और कमजोरी के साथ उसके सामने जाहिर न होने दें।

इसका कारण यह है कि सक्षम विरोधी जानकारी का उचित मूल्यांकन कर आपकी स्थिति का आंकलन कर सकता है। आपकी लड़ाई को प्रभावित कर सकता है। आपकी रणनीतियाँ को ध्वस्त कर सकती है। चाणक्य ने जानकारियों को छिपाने के लिए कोड भाषा का विकास तक किया था। आचार्य के अनुचर और अति विश्वसनीय ही उस भाषा को समझने लगते थे। इससे संदेश वाहक पकड़े भी जाते थे तो चाणक्य की कोई योजना प्रभावित नहीं होती थी।

चाणक्य कभी सफलता की चर्चा भी नहीं करते थे। उनका मानना ​​था कि सफलता स्वयं लोगों के मध्य पहुंच जाती है। विजेता के लिए उसे प्रचारित करने की जरूरत नहीं रहती है।

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