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चीन के साथ गतिरोध पर बोले जनरल बिपिन रावत, किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा भारत

चीन के साथ गतिरोध पर बोले जनरल बिपिन रावत, किसी भी दबाव के आगे नहीं झुकेगा भारत

by Sneha Shukla

प्रमुख रक्षा अध्यक्ष (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ गतिरोध का जिक्र करते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि भारत उत्तरी सीमाओं पर यथास्थिति को बदलने के प्रयासों को रोकने के क्रम में मजबूती से खड़ा किया जा रहा है और साबित कर दिया है कि वह कोई है भी कब्जे के आगे नहीं झुककेगा।

जनरल रावत ने यहां ‘रायसीना संवाद’ में अपने संबोधन में कहा कि चीन ने सोचा कि वह थोड़ी सी ताकत को अपनी मांगें मानने के लिए राष्ट्रों को विवश करने में सफल रहेगा क्योंकि उसके पास प्रौद्योगिकीय लाभ की वजह से श्रेष्ठ सशस्त्र बल हैं। उन्होंने कहा, ‘लेकिन मुझे लगता है कि भारत उत्तरी सीमाओं पर मजबूती से खड़ा किया जा रहा है और हमने साबित कर दिया है कि हम झुकेंगे नहीं।’

सीडीएस ने कहा कि क्षेत्र में यथास्थिति को बदलने के प्रयासों को रोकने में दृढ़ता से उठाए गए भारत आंतरिक समुदाय का समर्थन प्राप्त करने में सफल रहा है। रावत ने कहा, ” उन्होंने (चीन) यह सुनिश्चित करने की कोशिश की कि वे शक्ति का इस्तेमाल किए बिना विध्वंसक खेल का इस्तेमाल कर रहे यथास्थिति को बदल देंगे … उन्होंने सोचा कि भारत, एक राष्ट्र के रूप में, उनके द्वारा बनाए जा रहे हैं। दबाव के आगे झुकेंगे क्योंकि उनके पास प्रौद्योगिकीय लाभ हैं। ”

जनरल रावत ने कहा कि आंतरिक समुदाय यह कहने के लिए भारत का सहयोग करने आ गया है कि ‘हां एक आंतरिक नियम आधारित व्यवस्था है जिसका हर देश को पालन करना चाहिए। यह वह चीज है जो हम हासिल करने में सफल रहे हैं। ” भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में कई क्षेत्रों में पिछले साल मई के शुरू से सैन्य गतिरोध बना हुआ है जिससे द्विपक्षीय संबंध बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।

सिलसिलेवार कूटनीतिक और सैन्य वार्ताओं के बाद भारत और चीन ने गत फरवरी में पैंगोंग झील के उत्तरी और दक्षिणी छोर क्षेत्रों से अपने-अपने सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी कर ली थी। दोनों पक्ष अब अन्य क्षेत्रों से सैनिकों की वापसी के लिए बात कर रहे हैं। जनरल रावत ने कहा, ” उन्होंने (चीन) सोचा था कि वे चले गए हैं क्योंकि उनके पास प्रौद्योगिकी लाभ की वजह से एक श्रेष्ठ श्रम बल है। ”

रावत ने कहा, ” वे (चीन) विध्वंसक प्रौद्योगिकी बनाने में सफल रहे हैं जो प्रतिद्वंद्वी की प्रणालियों को पंगु बना सकते हैं और इसीलिए उन्हें लगता है कि वे थोड़ी सी ताकतें अपनी मांगें मनवाने के लिए राष्ट्रों को विवश करने में सफल हो सकते हैं। हैं। ’’ सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण का जिक्र करते हुए रावत ने कहा कि अमेरिका के एफ -35 विमान के पिछले विमान हैं, लेकिन वह पक्के तौर पर यह नहीं कह सकते कि भारत के साथ अमेरिका अपनी प्रौद्योगिकी साझा करेगा।

रावत ने कहा, ” उन्होंने (अमेरिका) हमें जो पेशकश की है, वह एफ-श्रृंखला में एक निम्नलिखित संस्करण है। ” सम्मेलन में जापान के स्व-रक्षा बलों के प्रमुख जनरल कोजी यामजाकी ने कहा कि चीन एकतरफा ढंग से आंतरिक व्यवस्था को बदलने की कोशिश कर रहा है और इसलिए विध्वंसक निर्णय और गलत तरीके-तरीकों का मुकाबला करने के लिए समान विचारधारा वाले देशों के बीच सहयोग की आवश्यकता है।

उन्होंने कहा कि चीन क्षेत्र में जापान और अन्य देशों के कानूनी अधिकारों को मान्यता नहीं देता है और इस तरह की प्रवृत्ति तनाव बढ़ाती है। यामजाकी ने कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नियम आधारित व्यवस्था की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि ताइवान में कोई भी संभावित प्रतिकूल स्थिति जापान के अधिकार को प्रभावित कर सकती है। ऑस्ट्रेलिया के सेना प्रमुख जनरल आंगस कैंपबेल ने कहा कि क्षेत्र में गलत तरीके-तरीके की कोशिश की जा रही है। उन्होंने कहा, ” हमें यह दक्षिण चीन सागर में दिखाई देता है। रेखा का उल्लंघन किए बिना जवाब देने के लिए बेहद चुनौती भरा है जिसका नतीजा खुले संघर्ष के रूप में निकलेगा। ‘

जनरल रावत ने कहा कि भू-आर्थिकी के साथ भू-राजनीति विश्व व्यवस्था को संचालित करनेवाले नियमों को पुन: आकार देने की मांग कर रहे हैं और चीन यह संदेश देने की कोशिश कर रहा है कि ” या तो मेरी बात, नहीं तो किसी ने की बात नहीं। ” ‘रायसीना संवाद’ 13 अप्रैल से शुरू हुआ था और 16 अप्रैल तक चलेगा जिसका आयोजन विदेश मंत्रालय के सहयोग से थिंक टैंक ‘ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन’ ने किया है।

ये भी पढ़ें: सीडीएस जनरल बिपिन रावत ने कहा, बोले- चीन भारत पर कर सकता है साइबर हमला

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