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चुनावी रैलियों में मास्क जरूरी क्यों नहीं? दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र और चुनाव आयोग से मांगा जवाब

by Sneha Shukla

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पश्चिम बंगाल सहित 5 राज्यों के चुनाव प्रचार के दौरान बिना पूछे के दिखे लोगों को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग को भेजे गए पत्र भेजे हैं। उच्च न्यायालय ने चुनाव प्रचार के दौरान भी पूछे जाने वाले जवाबदेही के बारे में जवाब मांगा है। अदालत ने पूछा है कि आखिर चुनाव प्रचार के दौरान लोग बिना पूछे के क्यों दिख रहे हैं। याचिका में मांग की गई थी चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट, मोबाइल एप्लिकेशन, अन्य प्लेटफॉर्म्स और सामग्री पर चुनाव के दौरान कोरोना प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी देनी चाहिए। इसके अलावा चुनाव आयोग को डिजिटल, प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए चुनावों में विभाजित -19 प्रोटोकॉल के बारे में जागरूकता फैलाने का आदेश देने की भी मांग की गई है।

यह अर्जी थिंक टैंक सेंटर फॉर अकाउंटेबिलिटी एंड सिस्टेमेटिक चेंज के चेयरमैन विक्रम सिंह की ओर से दायर की गई थी। विक्रम सिंह यूपी पुलिस के डीजीपी रहे हैं। बता दें कि पश्चिम बंगाल के अलावा असम, तमिलनाडु, पुडुचेरी और केरल में भी चुनाव हो रहे हैं। 4 राज्यों में मतदान हो चुका है, जबकि पश्चिम बंगाल में 10 अप्रैल को चौथे चरण की वोटिंग होनी है। राज्य में कुल 8 चरणों में मतदान होना है। विक्रम सिंह ने अपनी अर्जी में मांग की थी कि कोरोना के तमाम नियमों को ताक पर रखते हुए चुनाव प्रचार का काम जोय पर है।

इस अर्जी में कहा गया था कि एक तरफ देश में कोरोना के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है तो वहीं पश्चिम बंगाल और असम में रोड शो और रैलियां निकाली जा रही हैं। इसके साथ ही अर्जी में आम लोगों के खिलाफ गाइडलाइंस को सख्ती से लागू करने और राजनेताओं को छूट होने का मुद्दा भी उठाया गया। विक्रम सिंह ने अर्जी में कहा था कि आम लोगों और लोगों के बीच यह अंतर करना संविधान के अनुच्छेद 14 की भावना के खिलाफ है।



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